कविता…

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aalok vashishth
सवेंदनाएँ शून्य हो गयी,कविताएँ मरने लगी है!
रक्तिम स्याही वाली कलमें, निरंकुशता पर मौन धरने लगी है!
कवि धर्म बिक गया सभा में,दरबारों की गाथा लिख-लिख!
कविता की रोटी सिक रही नित,अधरों को भाग्य विधाता लिख-लिख!
कविताएँ निस्तेज हो रही, सत्ता के घर में सो रही!
कविताएँ अब हास्य हो गयी, राजनीति की भाष्य हो गयी!
कहाँ दिनकर की आग छिप गयी?
कहाँ महाप्राण के वंशज हैं?
कहाँ रहीम की निष्ठा डूबी?
कहाँ कबीर के अनुयायी हैं?
समता का अधिकार कहाँ है?
कहाँ है अभिव्यक्ति की आजादी?
कैसे देख रहे छिप-छिप सब,
कविता की इतनी बर्बादी!
             #आलोक कुमार
परिचय- 
नाम-अालोक कुमार
साहित्यिक उपनाम-अालोक कुमार वशिष्ठ
वर्तमान पता-पकरीबरावां (एरुरी)
राज्य-बिहार
शहर-नवादा
शिक्षा-जारी 12वीं कक्षा में अध्ययनरत
विधा -आलेख/कविता
लेखन का उद्देश्य-सामाजिक बदलाव

matruadmin

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।