सुन्दर डीपी लगा रखी है मोहतरमा अब तो चाय पिला दें
सुबह उठते से ही देखो की है तारीफ़ अब तो चाय पिला दें
सोच रखा है छुट्टी का दिन सारा आराम करके गुजार दूँगा
चाय पीके सो जाऊंगा, कहीं वो शॉपिंग की याद न दिला दें
हफ़्ते भर की थकान मीठी नींद, भीने सपनो से मिटाऊँगा
लम्बी अँगड़ायी लेकर एक बजे उठूँगा फिर खाना खिला दें
देर शाम गपशप मारूँ दोस्तों की महफ़िल में दिल खोल के
प्रियतम रखे ख़्याल, कहीं जाने का सोच रखा है तो भुला दें
कल फिर जाना है दफ़्तर डर जाता हूँ जहन में आते ख़्याल
शाम सुहानी चली गई ‘राहत’ हे! प्रिय सिर सहलाके सुला दें
#डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’