रोहतक (हरियाणा) जिले के लाढ़ोत्त भैयापुर गॉव में स्थित गुरुकुल में हुई दर्दनाक घटना ने सबको दहला कर रख दिया है, पाँचवी, छठी, सातवी कक्षा के इन विद्यार्थियों के साथ दसवीं और बारहवीं के विद्यार्थियों द्वारा किये गए कुकर्म ने एक और सवाल खड़ा कर दिया है कि बेटियां क्या आज के इस वक़्त में बेटे भी सुरक्षित नही है। रक्षाबन्धन के सुअवसर पर मन में खुशियां लेकर अपने बच्चो से मिलने गए उन एक दर्जन माँ-बाप पर क्या गुजरी होगी जब उन्होंने अपने बच्चो की ये आप बीती सुनी होगी कि किस तरह वरिष्ठ कक्षा के बीस से पच्चीस बच्चे पिछले एक साल से उनके मासूम बच्चों को रात को नींद से उठाकर छत पर ले जाते थे और उन्हें हवस का शिकार बनाते थे, उन्हें बाथरूम में भी शिकार बनाया जाता था और विरोध करने पर उनके साथ मारपीट की जाती थी और किसी को ना बताने के लिए भी चाकू दिखाकर धमकाया जाता था, आखिर कौन जिम्मेदार है इस घटना का….??????
हमारी सरकार…..?????
गुरुकुल प्रबन्धक…..?????
वो माँ बाप जो संस्था पर भरोसा करके अपने बच्चो के सुनहरे भविष्य के सपने बुन रहे थे….????
या वो मासूम जो अपने भविष्य को उज्ज्वल बनाने के लिए माँ-बाप से दूर अपना बचपन काट रहे थे…..????
गुरु का स्थान सबसे ऊपर माना जाता है लेकिन कलियुगी गुरु को क्या कहें जो सब पता होते हुए भी इस शर्मनाक कांड को रोकने की बजाय बढ़ावा देते रहे। संस्था के प्रबंधक की आत्मा ये सोचकर एक बार भी नही दुःखी हुई कि इन मासूमों की जिंदगी को खराब करने के जिम्मेदार वो है।
लड़कियों को कोसा जाता है कि वो देर रात तक बाहर थी, उसका आधा बदन कपड़ो से ढका हुआ था, जिसने लोंगो को हवस का पुजारी बनाया, क्या ये बच्चे भी रात को बाहर सड़क पर थे या इनके बदन इतने नंगे थे कि दरिंदो का वहशीपन जाग उठा, आखिर क्या गलती थी इनकी….??
क्या सरकार के किसी कानून में कोई ऐसी सजा नही कि वहशी दरिंदे और उनका साथ देने वाले नकाबपोशों की ऐसा काम करने की सोचकर ही रूह कांप उठे, कल मैंने खुद अपनी आँखों से उन बच्चों को हॉस्पिटल के बेंच पर बैठकर अपनी बारी का इंतजार करते देखा और परेशान माँ-बाप जिस बेचैनी से कभी बच्चो के पास खड़े होते कभी बैठते कभी टहलते तो कभी अपनी बारी के इंतजार में हॉस्पिटल के कमरे की तरफ देखते, उस दृश्य ने बार बार एक ही सवाल किया कि क्या कसूर है इन मासूमों और इनके पालनहारों का। यही है मेरा भारत महान! शोषक आराम से गुरुकुल में बैठे है और शोषित दर दर की ठोकरें खा रहे है, आखिर कौन है कसूरवार….????? अगर लड़की के बलात्कार के दोषी के लिए हम मौत की सजा की मांग करते हैं तो आज भी हर भारतवासी का फर्ज है कि वो इस दुष्कर्म को अंजाम देने वाले दरिंदो के लिए भी मौत की सजा की मांग करें।।
वाह रे मेरा भारत महान,
देखो अब ढूंढो कोने-कोने।
लड़की हो या लड़का हो,
उनके साथ होते कांड घिनोने।।
#सुषमा मलिक
परिचय : सुषमा मलिक की जन्मतिथि-२३ अक्टूबर १९८१ तथा जन्म स्थान-रोहतक (हरियाणा)है। आपका निवास रोहतक में ही शास्त्री नगर में है। एम.सी.ए. तक शिक्षित सुषमा मलिक अपने कार्यक्षेत्र में विद्यालय में प्रयोगशाला सहायक और एक संस्थान में लेखापाल भी हैं। सामाजिक क्षेत्र में कम्प्यूटर प्रयोगशाला संघ की महिला प्रदेशाध्यक्ष हैं। लेखन विधा-कविता,लेख और ग़ज़ल है। विविध अखबार और पत्रिकाओ में आपकी लेखनी आती रहती है। उत्तर प्रदेश की साहित्यिक संस्था ने सम्मान दिया है। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी आवाज से जनता को जागरूक करना है।