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जोश में भी,होश है,जयकार वंदेमातरम्,
धूल दुश्मन को चटा,प्रतिकार वंदेमातरम्।
पाक की नापाक हरकत,हम सहेंगे अब नहीं,
तोप गोलों से,ग़ज़ब की मार वंदेमातरम्।
अब युवा भारत नहीं,लाचार वंदेमातरम्,
चाइना को दें मिटा,संहार वंदेमातरम्।
अब न सन् बाँसठ कभी,फिर से दुबारा भूल जा,
बम,मिसाइल,तोप की,बौछार वंदेमातरम्।
शाम सुबहो घंटियाँ,घनकार वंदेमातरम्,
चाइना से ज़ंग,आरो पार वंदेमातरम्।
पाक को भी दो मिटा,आतंक मिटना चाहिए,
युद्ध का तांडव मचे,टनकार वंदेमातरम्।
हम चले हैं वक्ष अपना,तान वंदेमातरम्,
मान है सम्मान है,ये गान वंदेमातरम्।
दे रही है आसरा,माँ भारती निज गोद में,
हम सभी का मान है,अरमान वंदेमातरम्।
#प्रदीपमणि तिवारी ‘ध्रुवभोपाली’
परिचय:भोपाल निवासी प्रदीपमणि तिवारी लेखन क्षेत्र में ‘ध्रुवभोपाली’ के नाम से पहचाने जाते हैं। वैसे आप मूल निवासी-चुरहट(जिला सीधी,म.प्र.) के हैं,पर वर्तमान में कोलार सिंचाई कालोनी,लिंक रोड क्र.3 पर बसे हुए हैं।आपकी शिक्षा कला स्नातक है तथा आजीविका के तौर पर मध्यप्रदेश राज्य मंत्रालय(सचिवालय) में कार्यरत हैं। गद्य व पद्य में समान अधिकार से लेखन दक्षता है तो अनेक पत्र-पत्रिकाओं में समय-समय पर प्रकाशित होते हैं। साथ ही आकाशवाणी/दूरदर्शन के अनुबंधित कलाकार हैं,तथा रचनाओं का नियमित प्रसारण होता है। अब तक चार पुस्तकें जयपुर से प्रकाशित(आदिवासी सभ्यता पर एक,बाल साहित्य/(अध्ययन व परीक्षा पर तीन) हो गई है।
यात्रा एवं सम्मान देखें तो,अनेक साहित्यिक यात्रा देश भर में की हैं।विभिन्न अंतरराज्यीय संस्थाओं ने आपको सम्मानित किया है। इसके अतिरिक्त इंडो नेपाल साहित्यकार सम्मेलन खटीमा में भागीदारी,दसवें विश्व हिन्दी सम्मेलन में भी भागीदारी की है। आप मध्यप्रदेश में कई साहित्यिक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं।साहित्य-कला के लिए अनेक संस्थाओं द्वारा अभिनंदन किया गया है।
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