नैनम् छिंदंति शस्त्राणि नैनम् दहति पावका

0 0
Read Time2 Minute, 10 Second
rajnish dube
भारत माँ के वीर पुत्र, त्याग की साक्षात् मूर्ति श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को कुछ मौन से शब्दों में भावपूर्ण श्रद्धांजलि
हे भारत के भाग्य विधाता
तेरा वैभव अमर रहेगा
हे परमाणु के वर दाता
तेरा साहस निडर रहेगा
मौन रहा मृत्यु का सागर
जब तक सांसें अटल रही
हे भारत माँ के भीष्म पुत्र
ये इच्छा मृत्यु जटिल रही
ये समर कहे अपने ही वेग से
ये ज्योति नही बुझने देना
और वेग कहे अपने विवेक से
ये दिया अभी जलने देना
जब काल निशा की लालिमा
उनके माथे पर तिलक करे
तब सुन मृत्यु की हे देवी माँ
उनकी आँखो पर घृतलेप करे
मानो अपनी भारत माँ ने
किताब ग्रंथ की बन्द है की
अटल शक्ति से उड़ने वाले
यान – गति कुछ मंद है की
है भारत माँ के सच्चे सिपाही हे भारत के दिव्य रत्न आज से ही अपने प्रत्येक संघर्षों में आपको स्मरण रखने का संकल्प लेता हूँ …
#रजनीश दुबे’धरतीपुत्र'
परिचय : रजनीश दुबे’धरतीपुत्र' की जन्म तिथि १९ नवम्बर १९९० हैl आपका नौकरी का कार्यस्थल बुधनी स्थित श्री औरोबिन्दो पब्लिक स्कूल इकाई वर्धमान टैक्सटाइल हैl  ज्वलंत मुद्दों पर काव्य एवं कथा लेखन में आप कि रुचि है,इसलिए स्वभाव क्रांतिकारी हैl मध्यप्रदेश के  के नर्मदापुरम् संभाग के  होशंगाबाद जिले के सरस्वती नगर रसूलिया में रहने वाले श्री दुबे का  यही उद्देश्य है कि,जब तक जीवन है,तब तक अखंड भारत देश की स्थापना हेतु सक्रिय रहकर लोगों का योगदान और बढ़ाया जाए l  

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

शूद्र

Fri Aug 17 , 2018
मैं पैदा इंसान अवश्य हुआ पर शूद्र होना ही मेरी नियति थी सवर्ण समाज से मेरी व्यथित विसंगति थी इतिहास दर इतिहास काल-कलुषित सर्वथा मेरी तिथि थी एकलव्य,कर्ण, चंद्रगुप्त के विजयध्वजों पे भी अपमान की कई सदियों बीती थी किसने अपने स्वेदों में भी शूद्रों को हिस्सा माना है घर,बर्तन,कुएँ, […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।