आजादी के 71 वर्ष बाद भी क्यों उपेक्षित है यह सीमांचल….

0 0
Read Time5 Minute, 48 Second

swayambhu

देश के 72वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आज का दिन उन वीर शहीदों को नमन करने का दिन है जिनकी बदौलत हम हिंदुस्तान की आजाद फ़िजा में सांस ले रहे हैं।
आइये शुरुआत शहीद भगत सिंह के इस जज्बे के साथ करें…
…….
इस कद्र वाकिफ है मेरी कलम मेरे जज़बातों से !
अगर में इश्क भी लिखना चाहूँ तो इंकलाब लिखा जाता है !!
…….
आज उन गुमनाम शहीदों की कुर्बानियों को भी याद करने का दिन है जिनका जिक्र इतिहास के पन्नों पर आ न सका।
चलिये चंपारण की पुण्यभूमि पर महात्मा गांधी, उनका सत्याग्रह और जंगेआजादी से जुड़े कुछ प्रसंगों का स्मरण करते हुए सोचें कि इस बदलते हुए भारत की विकास यात्रा में आजादी के 71 वर्ष बाद भी हम कहां हैं…
चंपारण सत्याग्रह भारत के स्वतंत्रता संग्राम की एक महत्वपूर्ण कड़ी है और इसका शताब्दी समारोह भी इसी वर्ष धूमधाम से मनाया जा चुका है।
आज रक्सौल के लोगों को यह आत्मचिंतन करने की आवश्यकता है कि इतने गौरवशाली इतिहास के बावजूद भी यह सीमांचल विकास की मुख्य धारा में शामिल क्यों नहीं हो पाया। आखिर क्यों ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व होने के बावजूद यह क्षेत्र उपेक्षित पड़ा रहा। आखिर क्यों यहां राजनैतिक और सामाजिक संकल्प शक्ति का अभाव बना रहा।
महात्मा गांधी ने जो लौ यहां के लोगों के दिलों में जलायी वह समय के साथ मद्धिम कैसे पड़ गई। यहां के लोग उस सत्याग्रह को कैसे भूल गए।
कैसे यह क्षेत्र विकास की मुख्य धारा में जुड़ेगा, कैसे हमारी सरकार और हमारे जन प्रतिनिधि इसके सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्ध होंगे, कैसे इस क्षेत्र के विकास की लंबित योजनाएं पूरी होंगी, कैसे यहां की ज्वलंत समस्याओं का समाधान होगा, आज इसी विषय पर विमर्श किये जाने की आवश्यकता है।
केवल सरकार और व्यवस्था को दोषी ठहराकर विकास की बात करना उचित नहीं।
इस नगर के गौरव को पुनर्स्थापित करने और इसे स्वच्छ, सुंदर और समृद्ध बनाने के लिए सरकारी, गैर सरकारी एवं स्वयंसेवी संस्थानों के साथ हरेक व्यक्ति को अपनी भूमिका और अपनी जवाबदेही तय करनी होगी…

#डॉ. स्वयंभू शलभ

परिचय : डॉ. स्वयंभू शलभ का निवास बिहार राज्य के रक्सौल शहर में हैl आपकी जन्मतिथि-२ नवम्बर १९६३ तथा जन्म स्थान-रक्सौल (बिहार)है l शिक्षा एमएससी(फिजिक्स) तथा पीएच-डी. है l कार्यक्षेत्र-प्राध्यापक (भौतिक विज्ञान) हैं l शहर-रक्सौल राज्य-बिहार है l सामाजिक क्षेत्र में भारत नेपाल के इस सीमा क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए कई मुद्दे सरकार के सामने रखे,जिन पर प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री कार्यालय सहित विभिन्न मंत्रालयों ने संज्ञान लिया,संबंधित विभागों ने आवश्यक कदम उठाए हैं। आपकी विधा-कविता,गीत,ग़ज़ल,कहानी,लेख और संस्मरण है। ब्लॉग पर भी सक्रिय हैं l ‘प्राणों के साज पर’, ‘अंतर्बोध’, ‘श्रृंखला के खंड’ (कविता संग्रह) एवं ‘अनुभूति दंश’ (गजल संग्रह) प्रकाशित तथा ‘डॉ.हरिवंशराय बच्चन के 38 पत्र डॉ. शलभ के नाम’ (पत्र संग्रह) एवं ‘कोई एक आशियां’ (कहानी संग्रह) प्रकाशनाधीन हैं l कुछ पत्रिकाओं का संपादन भी किया है l भूटान में अखिल भारतीय ब्याहुत महासभा के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में विज्ञान और साहित्य की उपलब्धियों के लिए सम्मानित किए गए हैं। वार्षिक पत्रिका के प्रधान संपादक के रूप में उत्कृष्ट सेवा कार्य के लिए दिसम्बर में जगतगुरु वामाचार्य‘पीठाधीश पुरस्कार’ और सामाजिक क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए अखिल भारतीय वियाहुत कलवार महासभा द्वारा भी सम्मानित किए गए हैं तो नेपाल में दीर्घ सेवा पदक से भी सम्मानित हुए हैं l साहित्य के प्रभाव से सामाजिक परिवर्तन की दिशा में कई उल्लेखनीय कार्य किए हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-जीवन का अध्ययन है। यह जिंदगी के दर्द,कड़वाहट और विषमताओं को समझने के साथ प्रेम,सौंदर्य और संवेदना है वहां तक पहुंचने का एक जरिया है।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

आजादी

Wed Aug 15 , 2018
मिली नही आजादी हमको अंग्रेजियत के बाने से हिन्दी मेरी उदास हो रही अंग्रेजी के छा जाने से जवान रोज शहीद हो रहे किसान आत्महत्या कर रहे भूख से बेटियां मर रही है आजादी को झकझोर रही है व्यापारी भी जान गंवा चुके मजदूर बदहाल हो चुके कर्मचारी का हाल […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।