धरती मेरे देश की
धरती मेरे देश की क्या कमाल करती है
वीरों को दे जन्म खुद पर ये अभिमान रखती है
बेशक खींच दी धरम की लकीरे इस पर
फिर भी राम रहीम में ये अपनी जान रखती है
आरक्षण की बेढियों में जकड़ी है इसकी काया
गीता कुरान में फिर भी ये अपनी पहचान रखती है
खुद की छाती फाड़ कर अन्न उपजाती है
भूखा न रहे इसका लाल अनपूर्णा ये अपना नाम रखती है
भाषा रंग रूप हर कदम पर इसके बदल जाते हैं
हिंदी में ही फिर भी ये अपनी आवाज़ रखती है
जाति बना हो आधार इसके हर सफ़र का
मिटा हर भेद को “हर्ष” हिंदुस्तान ये अपना नाम रखती है
#प्रमोद कुमार हर्ष