हर साँस करू मै सुमिरन।
नित सजाऊ चन्दन से भाल।।
तुझको हो सर्वस्व अर्पण।
हर – हर गंगे हे! महाकाल।।
तन मन ज्ञान से हो समर्पित।
काव्य-सुमन से सजी ये थाल।।
हर इच्छा हो संपूर्ण हमारी।
हर – हर गंगे हे! महाकाल।।
बने नटराज स्वरुप मन।
पहने भस्म,रूद्र और मृग-छाल।।
विनाश हो अहंकार का।
हर – हर गंगे हे! महाकाल।।
बनू मै रंग रसिया रंग में तेरे।
छूटे मोह-माया का ये जाल।।
हर श्वास करू मै सुमिरन।
हर – हर गंगे हे ! महाकाल।।
ताण्डव हो नटराज मन का।
थिरके हर अंग पे मृदंगी- ताल ॥
हो प्रस्फूटित नव जीवन उमंग ।
हर – हर गंगे हे ! महाकाल।।
ना आदि होना अंत हो।
ना हो ये जीवन-मरण की चाल।।
होउ तुझमे समाहित ” मै ” अनंत ।
हर – हर गंगे हे ! महाकाल ।।
#रौशन