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जिंदगी की तो सारी अभिलाषा, मैं पूरी कर जाऊंगी।
डरती हूं बस मौत के बाद, मैं ये कैसे पूरी कर पाऊंगी।
याद रखना ये अभिलाषा मेरी, सबको सुषमा बता देना।
जब लगे उठने जनाजा मेरा, बस सफेद कफ़न ओढ़ा देना।।
:-चाह नही रंगीनी में लिपट, मैं बनकर जाऊं फुलझड़ी,
स्मरण रहता है ये हर पल, कि मौत मेरे आगे खड़ी।
चलते फिरते उठते बैठते, जाने कब आ जाये वो घड़ी,
ना चाह मलिक बहुत बड़ी, ये इस जिद पर है अड़ी।
हुई मलिक की अभिलाषा पूरी, बस इतना तुम जता देना।
जब लगे उठने जनाजा मेरा, बस सफेद कफ़न ओढ़ा देना।।
:-बिछा सफेद ओढ़ा सफेद सफेद में लिपटी मेरी काया,
मांगा है बस दो गज वसन,ना मांगी है मैंने कोई माया।
मुझे ओढ़ाने को देखो हर कोई कफ़न साथ है लाया,
कोई लाल कोई हरा तो कोई पीला है लेकर आया।
आने वाला हर साथी बस, इतना सा खजाना लुटा देना।
जब लगे उठने जनाजा मलिक का, सफेद कफ़न ओढ़ा देना।।
#सुषमा मलिक
परिचय : सुषमा मलिक की जन्मतिथि-२३ अक्टूबर १९८१
तथा जन्म स्थान-रोहतक (हरियाणा)है। आपका निवास
रोहतक में ही शास्त्री नगर में है। एम.सी.ए. तक शिक्षित
सुषमा मलिक अपने कार्यक्षेत्र में विद्यालय में प्रयोगशाला सहायक और एक संस्थान में लेखापाल भी हैं।
सामाजिक क्षेत्र में कम्प्यूटर प्रयोगशाला संघ की महिला प्रदेशाध्यक्ष हैं। लेखन विधा-कविता,लेख और ग़ज़ल है।
विविध अखबार और पत्रिकाओ में आपकी लेखनी आती रहती है। उत्तर प्रदेश की साहित्यिक संस्था ने सम्मान दिया है। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी आवाज से जनता को जागरूक करना है।
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