गुंजन की दो दिन पहले ही शादी हुई है, सारे मेहमान जा चुके हैं, आज सिर्फ घर के ही लोग हैं। दोपहर का समय है। डायनिंग टेबल से गुंजन के सास ससुर ,जेठ और पति खाना खा कर उठ जाते हैं और जूठी प्लेट को वहीं छोड़ देते हैं। ये देखकर गुंजन को थोड़ा अजीब लगता है, पर चुपचाप वो प्लेट उठाने लगती है।
“अरे! रहने दो वहीं और अपना खाना लगा लो रिंकू (गुंजन का पति) की प्लेट में” उसकी जेठानी बोली। गुंजन को ये अटपटा और अजीब लगा, वो कुछ नहीं बोली। जेठानी सास ससुर की प्लेट उठा कर किचन में रख देती है, और खुद के लिए खाना अपने पति की प्लेट में डालती है। जब गुंजन ऐसा करने से मना करती है तो पास बैठी सास बोलती है। “क्यों री ! क्यूं नहीं खाएगी, तू लल्ला की थाली में, पति की जूठी थाली में खाने से प्यार बढ़ता है, कोई नई बात ना है ये,सभी खाते हैं”।
गुंजन चुपचाप जा कर अपने लिए दूसरी थाली लेकर खाना अपने लिए लगाती है। सास ये देखकर गुंजन पर गुस्सा करती है, तो गुंजन भी खुलकर प्रतिकार करती है। काफी कहा सुनी होती है। जेठानी बीच बचाव की कोशिश करती है पर दोनों किसी नहीं सुनते। हल्ला सुन कर ससुर जेठ और उसके पति बाहर आते हैं, तीनो के पास कोई भी उत्तर नहीं है।
अनूपा हर्बोला
विद्यानगर(कर्नाटक)