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आजादी जो मिली है, इसे संभाले हुए रहना।
बुलन्दी के इसके सपने, पाले हुए रहना।
अरमान लाखों दिल में, लिए जो चले गए
उन अरमानों के तुम ही,रखवाले हुए रहना।
शहादत से अपनी इस,प चमन को खिला गए
इस चमन की रक्षा को, मतवाले हुए रहना।
बहा कर चले गए हैं वो लहू स्वराज को
इसको बनाए रखने को, लहू उबाले हुए रहना।
मिलती है ये आजादी प्रफुल्ल मुकद्दर से
इसको गले का हार, बनाए हुए रहना।
आजादी जो मिली है उसे सम्भाले हुए रहना
बुलन्दी के इसके सपने,पाले हुए रहना।
#ओम प्रकाश फुलारा ‘ प्रफुल्ल’
परिचय-
ओम प्रकाश फुलारा “प्रफुल्ल”
सहायक अध्यापक हिंदी
बागेश्वर(उत्तराखंड)
पिता – स्व0 श्री विष्णु दत्त
माता – श्रीमती कमला देवी
पत्नी और बच्चे – श्रीमती मंजू फुलारा, पुत्री प्रियांशी फुलारा, पुत्र प्रियांशु फुलारा
शैक्षिक योग्यता- एम0ए0 बी एड
साहित्य यात्रा का प्रारम्भ वर्ष- 1914 से
साहित्यिक उपलब्धियाँ-
काव्य संग्रह ‘अंकुर’प्रकाशनाधीन
साझा संकलन – धरोहर अपनों की, गुलदस्ता, काव्य दर्पण सहित 3 अन्य साझा संग्रहों में रचनाओं का प्रकाशन
पत्र पत्रिकाएँ- समाचार पत्र में पत्रों का प्रकाशन
विशेष सम्मान पत्र विवरण –
सहित्य सारथी सम्मान,
कवि मनीषी सम्मान,
स्वर सम्राट,
प्रहलाद अनुराग सम्मान,
सौहार्द भूषण,
साहित्य सृजक,
स्टार हिंदी बेस्ट कंटेंट राइटर अवार्ड,
सर्वेश्वर दयाल दुबे साहित्य सम्मान,
स्टार हिंदी साहित्यकार सम्मान,
साहित्य अक्षत सम्मान, साहित्य रत्न, सारस्वत सम्मान ।
विशेष उपलब्धियाँ – अकाशवाणी से लेखों का प्रसारण
स्कूल पत्रिका का सम्पादन
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