तेरे साथ जो,
बीते हैं पल मेरे..
वो याद दिलाते हैं
तेरी चाहत की खुशबू….।
भोर की सुबह हो,
या रात की गहरी चादर..
मेरी दुनिया रंग-बिरंगी
तेरी यादों से रोशन…..।
खुशबू तेरी यादों की,
महक उठी मानो जैसे..
कोई अल्हड़ दीवानी,
खेलती हो रंगों से होली….।
#सुबोध कर्णिक
परिचय : सुबोध कर्णिक इंदौर (मध्यप्रदेश) के निवासी हैं|इन्होंने इंदौर स्कूल ऑफ़ सोशल वर्क इंदौर से समाजकार्य में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है | विगत 16 वर्ष से समाजकार्य के क्षेत्र में समाज के विभिन्न वर्गों के लिए स्वास्थ्य,शिक्षा,आजीविका एवं स्वच्छ भारत अभियान के लिए सक्रिय रूप से कार्यरत हैं |आपको कविता लिखने का बेहद शौक है|