मुसलिफी में जीना,
शौहर का पीना,
बात -बात में ताना,
बाहरी का दुत्कार,
अपनों से तिरिस्कार,
पति का मार,
हार-थक कर भी,
वो थकती नहीं।।1।।
बाहर मजदूरी,
घर में गृहणी,
बच्चों को संभालना,
रूठना मनाना,
प्यार -दुलार ,लोरी सुनाना,
चूल्हा -चौक करना,
थक कर भी,
वो थकती नहीं है।।2।।
दिन रात काम,
क्षणिक आराम,
श्वान सा नींद,
सबसे पहले जागना,
सबसे बाद सोना,
सहमी सी रहना,
झिड़कियां सहकर भी,
वो थकती नहीं है।।3।।
न खाने की चाहत ,
न सुख की आशा ,
चुटकी भर प्यार को तरसती
आंसू आँखों का घूंटती,
परिवार की सलामती को,
दर-दर माथा टेकती,
सारे दर्द झेलकर भी,
वो थकती नहीं है।।4।।
नाम-पारस नाथ जायसवाल
साहित्यिक उपनाम – सरलपिता-स्व0 श्री चंदेलेमाता -स्व0 श्रीमती सरस्वतीवर्तमान व स्थाई पता-ग्राम – सोहाँसराज्य – उत्तर प्रदेशशिक्षा – कला स्नातक , बीटीसी ,बीएड।कार्यक्षेत्र – शिक्षक (बेसिक शिक्षा)विधा -गद्य, गीत, छंदमुक्त,कविता ।अन्य उपलब्धियां – समाचारपत्र ‘दैनिक वर्तमान अंकुर ‘ में कुछ कविताएं प्रकाशित ।लेखन उद्देश्य – स्वानुभव को कविता के माध्यम से जन जन तक पहुचाना , हिंदी साहित्य में अपना अंशदान करना एवं आत्म संतुष्टि हेतु लेखन ।