वतन, बस भू मण्डल के कुछ,
एक हिस्से का ही नाम नहीं है।
वतन, सीमा रेखा में शासन का,
और सरकारों का काम नहीं है।
वतन, इंसानों की आबाद बस्तियों,
का रहने बसने का ही धाम नहीं है।
वतन, प्रभुसत्ता धारी संविधान का,
केवल कोरा शुभ गुण गान नहीं है।
देश, राष्ट्र और राज्य से, ऊपर जो,
प्राण दुलारा “हिन्दुस्तान”:-वतन है।
भारत माँ का युगों युगों का संचित,
निज संतति हित अरमान वतन है।
महा हिमालय से बहती , वे गंगा,
यमुना की पावन श्रम धार रतन है।
सवा अरब की राष्ट्र चेतना वाली,
चेतन जनज्वाला का नाम वतन है।
सागर चरण पखारे,वंदन करने को,
जगत गुरु भारत का नाम वतन है।
*प्राण जाय पर वचन न जाई* उस,
सौगाती परिपाटी का नाम वतन है।
विभिन्नता में एका हो पग पग पर,
ये पुण्य संस्कृति का नाम वतन है।
सब का कल्याण चाहने वाले मनु,
वैदिक सनातनी संस्कार वतन है।
“वसुधैवकुटुम्बकम” के नाद करे,
अपनी वह पावन सोच वतन है।
“मेरे, देश की धरती सोना उगले”,
अफसाने, गाने का मान वतन है।
“जहांडालडालपरसोनेकीचिड़िया”
“करतीहैबसेरा” गाने वाले ‘मन’ है।
यह सोने की चिड़िया कहलाता,
महावीर व गौतम का देश वतन है।
“ऐ मेरे वतन के लोगों,”,,, गाने,
बनने वालों का वास वतन है।
“दूध दही की नदियाँ बहती”वो
जय किसान का खास वतन है।
जन गण मन और वंदेमातरम,
संग भारत माता का जयकारा।
अमर तिरंगा प्राणों से प्यारा,
वही अरमान–ऐ–वतन हमारा।
‘दिल दिया है जान् भी देंगे’ कहकर,
अरमान-ए– तिरंगे करे जतन है।
“अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों”
कहने वाली, निभती रीत वतन है।
सब रिश्तों,भाषा, धर्मो से ऊपर,
यह प्यारा अलफाज वतन है।
निज , जान मान सम्मान शान,
सबसे ऊँची एक, सोच वतन है।
गोली,फाँसी और कालेपानी संग,
इंकलाब जय हिन्द जतन है।
देश के खातिर कटा लिए सिर,
आजादी के वीरों के नाम वतन है।
पन्ना, पद्ममिन , कर्मवती, मीरा,
और, झाँसी की वह महा रानी।
तुलसी,सूर, रसखान,व कबीरा,
गूंजे रैदास गुरुनानक की वानी।
यही वतन है मेरा तुम्हारा,अपना,
सबका पूज्य प्राण हमारा सपना।
इसके खातिर जिऐ मरेंं हम सब,
जयहिन्द व वन्देमातरम् जपना।
यह वतन है अपने जय जवान का,
तिरंगा जिनके कफन कमाई है।
माँ के खत पढ़, शान ..से ….गाते,
“वतन….की…..चिट्ठी….आई…
सम्राट भरत चाणक्य शिवाजी,
राणाप्रताप,गुरुसिखपंथ रतन है।
भगत सिंह,शेखर,बिस्मिल,गाँधी,
वीर- सपूत, प्रसूता धरा वतन है।
यहाँ कदम कदम माँ,भूमि जन्में,
लाल, हीरे मोती खनिज रतन है।
श्री राम, कृष्ण के आदर्शों वाला,
मेरा प्यारा भारत वर्ष वतन है।
मंदिर,मस्जिद, गुरु द्वारों,गिरिजों,
का यह पावन शुभ धाम वतन है।
पंचशील विश्वशांति आतंकपतन,
की चाहतवाला भारतवर्ष वतन है।
नाम- बाबू लाल शर्मा
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः