कुछ ख़ास नहीं बस दिल करता है,
तेरे संग जीने मरने का मन करता है।
जब सामने तेरा चाँद सा मुखड़ा,
आँखे नीली सागर सी।
होंठ तेरे एक शराब का प्याला,
तू लगती मधुशाला सी।
कुछ ख़ास नहीं बस दिल करता है,
तेरे संग जीने मरने का दिल करता है।
तेरे होंठों का कमल सा खिलना,
इक गुनगुनाहट भौंरे सी।
तेरा बलखा कर हिरनी सा चलना,
छाई दिल पर घटाओं सी।
कुछ ख़ास नहीं बस दिल करता है,
तेरे संग जीने मरने का मन करता है।
तू है मेरी हीर सनम मैं हूँ तेरा रांझा,
मुझको अब क्यों तड़पती।
पावस ऋतु है अब मान भी जा जाना,
मदहोश हरियाली सी।
कुछ ख़ास नहीं बस दिल करता है,
तेरे संग जीने मरने का मन करता है।
#विपिन कुमार मौर्या