होता तो है
जीवन में कभी न कभी
तनाव का अंकुरण
जो फलता ही है फिर
अधिकतर अवसाद के रूप में ।
सरल है कहना यह –
कि बचें हम तनाव से
करें वे उपाय , जो
फलित न होने दे
इसे अवसाद में ।
मगर होता कहां है ऐसा –
जीवन की आपा धापी और
कुछ कर गुजरने की तमन्ना
ले ही आती है , साथ अपने – तनाव
होता है जिससे अंकुरण अवसाद का ।
फलित हो यह , इससे पहले –
रोक दें वह खाद और पानी
जो कर सकता है वंचित हमको
अपने कर्मपथ और लगन से।
प्रभावित न हो इससे –
हमारे दायित्व और स्वास्थ्य ।
समझ लें इसे और मान भी लें
तनाव का अंकुरण अंततः
फलित होता ही है – अवसाद में ।
बचना तो होगा ही इस अंकुरण से ।
#देवेन्द्र सोनी , इटारसी।