कोरोना का रोना लटपट सांस भी छूट रही झटपट।। आया दवा हुए लापरवाह लगी कतारे सजी महफिल फिर सुनसान का दामन थामने सोचने लगी है सरकारें।। मानव तेरी फितरत ने परेशां किया जो चला जाने वाला था उसे वुलावा दिया।। यूं तो रैलियां न निकाला कर ऑन लाइन ही बुलाया […]

जिंदगी का अब कोई भरोसा नहीं है। अभी तो जिंदा है पर अगले पल का पता नहीं। आज मैंने मौत को नजदीक से निकलते देखा। और अपने परिजन को बात करते करते जाते देखा।। मानव जन्म मिलने का जो विचार मन में आया। उन्हें लब्जो में हम व्या कर सकते […]

हर पल आती याद मुझे कभी न पाता भूल उन्हें वह ईश्वर का ही रूप थी मेरे जीवन का मूल थी कांटा अगर चुभता मुझे दर्द से वह करहाती थी पाला पोसा था मुझको कष्टो से दूर रखा मुझको मेरे चेहरे की मुस्कान को खिलौना खुद बन जाती उनकी पूजा […]

कोरोना काल में खाली होते सरकारी खजाने के लिए सरकार को बनाना होगी ‘काम नहीं तो दाम नहींʼ की नीति। इसके तहत जो अधिकारी-कर्मचारी निरंतर सेवायें नहीं दे रहे हैं, लाकडाउन के कारण निरंतर घरों में रहकर बेतन सहित अवकाश आ लुत्फ ले रहें हैं और उन्मुक्त विचरण कर रहे […]

सद्चिन्तन करते रहो जब तक घट मे प्राण हर सांस को मान लो अपना आखिरी प्राण मन मे रहे परमात्मा जीव्हा पर हरि नाम पापमुक्त हो जाओगे मिल जायेगे भगवान जितना पुरुषार्थ करोगे उतना फल देंगे भगवान गीता मे यही कहते है अपने शिव भगवान।#श्रीगोपाल नारसन Post Views: 548

सब कुछ होते हुए भी यहाँ वहाँ खोजता रहा। जिसे तुझे खोजना था वो तेरे से दूर होता गया। और तू प्रभु का खेल कभी समझ न सका। बस दौलत के पीछे ही तू सदा भागता रहा।। इस दौलत के जाल को अच्छे अच्छे नहीं समझ सके। बस इसके मायावी […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।