जिंदगी केवल वही सफल है जिसमे पुरुषार्थ का फल है भाग्य नही, पुरुषार्थ बड़ा है तभी भाग्य से आगे खड़ा है पुरुषार्थ कहलाती ईश्वरीय सेवा इसी से मिलती जीवन मे मेवा इसी से सब अपने बन जाते सहज सबके प्रिय बन जाते जीवन मे भी खुशिया आती परमात्म की कृपा […]

नामा न कोई यार का पैगाम भेजिए, पिछली रुतों का सानेहा फूल भेजिए। बुझते मेरे खयाल उनमें लाखों सवाल, ख्वाब मैं मेरे सवाल का जवाब भेजिए। पैगाम लाई है अब हवा जाने कहां से, पत्तों पे मौसम का अज़ाब लीख भेजिए। जा के सुनूँ आसार-ए-चमन के क्या है, गुलाब में […]

महासागर की लहरों ने क्या जादू किया, देख इसे डोले देखो मेरा जिया। अदाओं से अपनी दिल मेरा लिया, सागर की …….. ऊँची ऊँची लहरे जब उठती हैं, मन को बड़ा हर्षाए। करके इशारे मीठे मीठे प्यारे, हमको पास बुलाए। पल में चुरा ले ये सबका जिया, सागर की……… हमने […]

चलते चलते मुझे श्रीराम मिल गये । चलते चलते मुझे श्रीकृष्ण मिल गये । बातों ही बातों में वो पूछने लगे। क्या करते हो तुम? मैने कहाँ की मैं एक कवि हूँ जी। सुनकर दोनो जन जोर से हंस पड़े। मैने पूछा उनसे क्या हो गया जी। कहने वो लगे […]

लेना ही नही देना भी सीखों सबको अपना बनाना सीखो किसी के काम आकर देखो रोते को एक बार हँसाकर देखो दुआओ से झोली भर जायेगी नेकी तुम्हारे काम आएगी सेवा का फल मिलता जरूर है आत्म सन्तोष होता जरूर है यही है सच्ची ईश्वरीय सेवा सुकर्मो की सबको मिलती […]

मैं किसी चीज का अनुसरण नहीं करता, मैं हर चीज से सीखता हूं, मैं बस निर्दोष रूप से बहता हूं। नदी कोई नदी नहीं है। मैंने अपने पैर की अंगुली डुबो दी अपने शांत पानी में अनंत तक तीसरी आयामी दुनिया में लहरें पैदा करने के लिए। मैं फिर वापस […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।