हाय रे डाटा

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जब रोटी को आटा नहीं तो,
कहाँ से लाएं डाटा?
लाचारी के मौसम में क्यों,
ये पड़ा है हम पर चांटा।

क्यों कंगाली में हुआ हुआ है,
देखो फिर से आटा।
बाबू जी हमको बतलाओ,
हम पेट भरें या डाटा?

मोबाइल को बेच ला रहे,
देखो घर में आटा।
झेल रहे हैं हम प्रतिदिन,
रोजगार का घाटा।

नेट पैक हैं कितने महंगे,
कैसे हम डलवाएं?
अपने बच्चों की ऑनलाइन,
पढ़ाई कैसे करवाएं?

खेती बाड़ी का काम हमारा,
हम फुरसत ना पाएं?
घर में बैठ कर बच्चों को,
हम बोलो कैसे पढ़ाएं?

घर में सब बीमार पड़े हैं,
हम कैसे इलाज कराएं?
पेट भरें या खर्चे बोलो जी,
हम किससे आस लगाएं?

हम भी तो कम पढ़े लिखे,
बच्चों को कैसे पढ़ाएं?
बाबू जी बोलो हम तुमको,
मजबूरी कितनी गिनाएं?

पहले पेट भरना जरूरी,
फिर शिक्षा की बारी।
फूटी है ना जाने क्यों,
किस्मत बाबू जी हमारी।

कुछ तो राह हमें दिखाओ,
मेरे ईश्वर मेरे दाता।
सँवारो किस्मत दुःखियों की,
मेरे भाग्य विधाता।

स्वरचित
सपना (सo अo)
प्राoविo-उजीतीपुर
विoखo-भाग्यनगर
जनपद-औरैया

matruadmin

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