आज मैंने आईने को तब फूट-फूट कर रोते देखा जब सब उसे झूठा ठहरा रहे थे। उसने कहा मुझे प्रतिबिंब ही तो दिखाना है। जब लोग अपने चेहरे पर परत दर परत झूठ चढ़ा लेते हैं तो खुद को पहचान पाते हैं क्या? अर्द्धेन्दु भूषण इन्दौर, मध्यप्रदेश लेखक वर्तमान में […]

क्या मजबूरियां भी जेनेटिक होती हैं? मुझे तो ऐसा ही लगता है क्योंकि आज मैंने अपने बच्चे की आंखों में उन्हीं सपनों को डूबते-उतराते देखा जिन्हें मैं अपने बचपन में कई बार पूरी तरह डूबो चुका हूँ। अर्द्धेन्दु भूषण इन्दौर, मध्यप्रदेश लेखक वर्तमान में दैनिक प्रजातंन्त्र के सम्पादक और स्तम्भकार […]

जीवन का नेटवर्क जब सही-सही काम नहीं करता तब ऐसा लगता है काश! ईश्वर ने कोई रिस्टार्ट बटन दिया होता। या जब बहुत सारी स्मृतियाँ दिल का बोझ बढ़ाने लगती हैं तब भी मन कोई डिलीट ऑल का बटन तलाशने लगता है। अर्देन्दु भूषण इन्दौर, मध्यप्रदेश लेखक वर्तमान में दैनिक […]

मैं जहाँ रास्ता भटका वहां मार्ग संकेतक नहीं थे सोचा अपने हैं लेकिन यह पता नहीं था अपनों की परिभाषा अब बदल गई है अब तो अपना मतलब सपना है अर्देन्दु भूषण इन्दौर, मध्यप्रदेश लेखक वर्तमान में दैनिक प्रजातंन्त्र के सम्पादक और स्तम्भकार है। Post Views: 14

हरदम बदल रहा है, अपना ख़याल रखना, मौसम बदल रहा है, अपना ख़याल रखना। था जिस तरह ज़माना वैसा नहीं रहा अब, कमकम बदल रहा है, अपना ख़याल रखना। तब्दीलियाँ बहुत हैं,बदला है वक़्त कितना, पैहम बदल रहा है, अपना ख़याल रखना। की कोशिशें हज़ारों रिश्ता बना रहे ये, ताहम […]

अक्सर होने वाली माँ के लिए कहा गया, उम्मीद से हो क्या क्या होता है उम्मीद से होना उम्मीदें जिंदगी को बेहतरी से जीने का हौसला देती हैं, ये वो खुशी, वो अहसास है जो उसे औरत से माँ बना देती है किसी को बेशुमार प्यार करने की चाहत देती […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।