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मैं जहाँ
रास्ता भटका
वहां
मार्ग संकेतक
नहीं थे
सोचा
अपने हैं
लेकिन
यह पता नहीं था
अपनों की
परिभाषा
अब बदल
गई है
अब तो
अपना
मतलब
सपना है
अर्देन्दु भूषण
इन्दौर, मध्यप्रदेश
लेखक वर्तमान में दैनिक प्रजातंन्त्र के सम्पादक और स्तम्भकार है।
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