बहती हुई नर्मदा की धारा, नदी तट के घाट, गाँव के मन्दिर और मोहल्ले, और न जाने क्या-क्या! अरे! घुमावदार रास्ते और गाँव की पगडंडियाँ, उनमें एक चढ़ाव-उतार वाली गली। गाँव में प्रेम से चाय पिलाते लोग, अमाड़ी की भाजी और रोटी ज्वार की, मीठी गट चाय और पाती मनुहार […]
काव्यभाषा
काव्यभाषा
सॉनेट शाला करूँ अर्पण-समर्पण मैं, जगे अभ्यास की ज्वाला। करूँ छंदों का तर्पण मैं, तृप्त हों हृद-सलिल-शाला। भवानी शारदा माता, रखूँगी एक अभिलाषा। सुमति अल्पज्ञ भी पाता, समर्पण ही सहज भाषा। जगाऊँ नाद मैं ऐसे, जगत गूँजे अलंकारों। सकल ब्रह्मांड में जैसे, शबद हुंकार चौबारों। सुगम-सी काव्यमंजूषा। छंद सॉनेट की […]
