कविता दशक- कीर्ति मेहता के दस सॉनेट

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  1. सॉनेट शाला

करूँ अर्पण-समर्पण मैं,
जगे अभ्यास की ज्वाला।
करूँ छंदों का तर्पण मैं,
तृप्त हों हृद-सलिल-शाला।

भवानी शारदा माता,
रखूँगी एक अभिलाषा।
सुमति अल्पज्ञ भी पाता,
समर्पण ही सहज भाषा।

जगाऊँ नाद मैं ऐसे,
जगत गूँजे अलंकारों।
सकल ब्रह्मांड में जैसे,
शबद हुंकार चौबारों।

सुगम-सी काव्यमंजूषा।
छंद सॉनेट की भूषा।।

2. मेघावरी

उमड़-घुमड़ श्यामल मेघावरी,
झमझम सावन बरसाए हो,
घटा करे है शोर बावरी,
श्याम सुनो! क्या तुम आए हो?

धवल-धवल उत्तुंग है शिखर,
खिली हुई मुदिता-सी वसुधा,
प्रखर पुंज से उदित भास्कर,
मन हुआ तरंगित प्रेम क्षुधा।

पावस छाया है अब तृण-तृण,
प्रेम पीयूष बिखराए हो,
क्षितिज स्वर्ण बिखरा है कण-कण,
नव जीवन प्रभु लाए हो।

इंद्रधनुषी रंग बिखरे हैं।
पल-पल वसुधा भी निखरे है।।

3. अवनि

दर्पण में देखे छवि अपनी,
पता नहीं क्यूँ दिख न पाए!
मुस्काती सूरत है अवनी,
कर्त्तव्यों का बोझ उठाए।

अन्तस् की वो व्यथा छुपाती,
जी भर कर जब हँसती जाए।
पीड़ा अधरों तक कब आती,
नैन अश्रु निज कंठ समाए।

स्वयम स्वधा है कहने को तो,
संसारी बंधन में जकड़ी।
उचित कहे जब बातें वो तो,
मर्यादा की सीमा तोड़ी।

हँसता चेहरा देखा नार।
मन में लेकर चलती भार।।

4. माँ

मातृशक्ति है शक्तिशाली,
विपदा हो कोई जान।
सुत श्वास की है रखवाली,
जग की जननी ये मान।

रख चलती सुत माथ वो,
सरयू उफने है भयमुक्ता।
मज़बूत पकड़ है हाथ की,
कब विकल माँ उनमुक्ता!

लहर काट वो चलती है,
ममता विपदा से बड़ी।
अटल इरादा रखती है,
सुत काल के मध्य खड़ी।

अथाह समुन्दर सामने।
माँ चली भरोसा थामने।।

5. जलधर

अलग-अलग मुद्राएँ जलधर,
व्योम कला से रच डाला।
लिए अनोखे रूप हैं सुंदर,
रविप्रभा सँग है मतवाला।

किरणें बिखरीं स्वर्ण तिरोहित,
ज्यों झाँके प्रमुदित बाला।
मंद-मंद मुस्कनिया मोहित,
पहनाए ज्यों अम्बुद माला।

चमक दामिनी मध्य सुशोभित,
आमोद-प्रमोद लगे शुभता।
इंद्रधनुष रेखा आलौकित,
यूँ साँझ ढले दिनकर उगता।

व्योम धरा की क्षितिज रेख पर।
चमके लोहित तेज प्रभाकर।।

6. सॉनेट कला

सलिल बहे सॉनेट कला,
नई विधा सबको आई,
धूनी जली है शालाकी,
आशीष गुरू वर पाई।

आचार्य नियोजित करते,
सॉनेट सलिला दिखलाते,
उत्साह कलम हैं भरते,
दें निर्देश वो सिखलाते।

शत-शत वन्दन करती हूँ,
चरणों की रज है पावन,
भाल मैं चंदन करती हूँ,
प्रभा अलौकिक मनभावन।

व्यक्तित्व विलक्षण लगता।
आदर हृद में है जगता।।

7. भारत की बेटी

भारत की बेटी की जय है, पेरिस जाकर किया धमाका।
तीरंदाज़ी हुनर विजय है, त्रिकल स्वर्ण पद लहर पताका।।

पचपन देशों से अव्वल है, हिंदुस्तानी बेटी का बल।
तरकश में उसके सम्बल है, प्रतियोगी सम्मुख बल दल।।

लेकिन सन्नाटा क्यों पसरा, कहाँ मिली उसको शाबाशी!
देख रहें है सबजन कचरा, बने हुए हैं संस्कृति नाशी।।

बेटी भारत की शान है।
हम सबकी ही आन है।।

8. बदरी

झटक रही है पावस नभ से,
यूँ अपने गीले बालों को।
आँचल लहरे विद्युत प्रभ से,
दमकाती ज्यूँ गालों को।

छल-छल-छल-छल घट छलकातीं,
मधुर राग में लीन बदलियाँ।
मौसम की सुधबुध भुलवातीं,
छन-छन छनकातीं पायलियाँ।

तन-मन ज्वाला प्रणय जगाए,
चित्र मिलन का है आभासी।
व्योम धरा की प्यास बुझाए,
है बदरी तो नभ की वासी।

पीर विरह की सही न जाए।
बरस रहीं हैं आज घटाएँ।

9. ईश महिमा


महिमा अपरिमित है ईश की,
दिखे व्योम, भास्कर, शिवलिंगा।
है साकार छवि शिव धीश की
अभिषेक करें ज्यों पावन गंगा।

सत्कार महामाया करती,
है धरा प्रफुल्लित हरी-भरी।
अवधूत प्रसन्न हुए धरती,
दिव्य किरण आशीष भरी।

मानव दर्शन कर अद्भुत,
हुई प्रदीप्त ये सारी सृष्टि।
छवि अलौकिक हुई है प्रस्तुत,
देखो दिव्य इसको रख दृष्टि।

लगता प्राकृत अभिनय न्यारा।
मनमोहक उजियारा प्यारा।।

10. शिव

शिवा की शक्ति है माता,
सती है तो कभी नैना।
हिमालय से सुत नाता,
पली हैं गोद में मैना।

किये तप सींच जलधारा,
बनी अर्धांगिनी भोला।
मनोरथ पूर्णतम सारा,
तपस्या प्रेम सँग तोला।

शिवा की शक्ति से सारी,
चले संसार की माया।
बिना शक्ति जलाधारी,
लगे बेजान-सी काया।

शिवशक्ति आशीष मिले।
जीवन बगिया हरित खिले।।

कीर्ति मेहता “कोमल”

इन्दौर, मध्यप्रदेश

परिचय:
नाम- कीर्ति मेहता “कोमल”
पति- श्री प्रफुल्ल मेहता
शैक्षणिक योग्यता- हिंदी, संस्कृत में स्नातकोत्तर
संप्रति- समाज सेविका, लेखिका, कवयित्री, छंदकार, भूमिका एवं समीक्षा लेखन तथा कुशल मंच संचालक

साहित्यिक परिचय:
1) बारह साझा संकलन प्रकाशित
2) कृष्णायण महाकाव्य ग्रंथ में सह रचनाकार के रूप में प्रसंग लेखन
3) शिवमहापुराण के तहत शिवायन महाकाव्य ग्रंथ में सह-रचनाकार के रूप में प्रसंग लेखन
4) आचार्य संजीव वर्मा सलिल जी के संपादन में विश्व का प्रथम शेक्सपियरी साॅनेट के नियमानुकूल हिंदी में प्रथम साॅनेट साझा संकलन में बतौर लेखन
5) 2000 दोहे एवं 50 अन्य छंदों में काव्य लेखन अप्रकाशित।

सह-सम्पादन:
1) कृष्णायण महाकाव्य ग्रंथ 750 पृष्ठ की पुस्तक
2) शिवायन महाग्रंथ
3) गीतायन महाग्रंथ

सम्मान-
1) कृष्णायण अखंड काव्यार्चन के तहत लंदन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज
2) कृष्णायण लेखन के सम्मान में साध्वी ऋतंभरा दीदी के द्वारा सम्मानित
3) वर्ल्ड ग्रेटेस्ट रिकॉर्ड में नाम दर्ज
4) छंदबद्ध भारत का संविधान में स्वप्रसंग लेखन एवं गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दोबारा नाम दर्ज
5) बिलासा छंद महालय के तहत प्रथम नवरत्न सम्मान
6) साहित्य सेवा में अग्रणी भूमिका के लिए साहित्योदय सम्मान
7) एशिया बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड- साझा संग्रह- विभिन्नता में एकता के लिए
8) हिंदी रक्षक राष्ट्रीय सम्मान
9) श्री मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति द्वारा साहित्य सेवी सम्मान
10) अभिव्यक्ति गौरव सम्मान, नागदा
11) शब्दप्रवाह साहित्त्य सम्मान, उज्जैन
12) काव्यरत्न मानद सम्मान नेपाल
अन्य कई संस्थाओं द्वारा निरन्तर सम्मानित।

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