डॉ क्टर थे वो कलम से शब्दों कि चिकित्सा करते थे। वे अपनी कलम से हर बात खुलकर लिखते थे। द बंग पत्रकार एसे,लोग उन्हें लेखन का योद्धा कहते थे। प्र श्न कोई भी करले उनसे, बेबाक जवाब देते थे। ता रणहार बने हिन्दी आंदोलन के हिन्दी भाषा को मान […]

अगर मेरी मरने की खबर आ जाए मेरी अंत्येष्टि पर मत आना। वैसे आप आओगे नहीं आँख बंद होने के बाद लाज कहाँ बचती है फिर भी अगर मन करे तो भी मत आना अगर आ गए तो वो पांच रुपए भी याद आ जाएंगे जो चाय पीने के लिए […]

जय जय महावीर भगवान। सुनाते हम तेरा गुणगान। हुई है भारत भूमि धन्य, नमित है एक-एक इंसान। लिए जब वर्धमान अवतार। सजे थे घर-घर बंदनवार। सुरभियां दसों दिशा फैली, करी देवो ने जयजयकार। हुआ निज गौरव पर अभिमान। सुखों को छोड़, हुए त्यागी। हृदय में ज्ञान ज्योति जागी। तपस्या इस […]

स्व इच्छा पर नियंत्रण करना है, कोई सरल कार्य नहीं। साम्राज्य को त्याग कर , कहीं निर्जन में चले जाना, कोई आसान नहीं। सत्य और अहिंसा का मार्ग, अपनाना और प्रशस्त करना है कोई आसान नहीं। अज्ञान का अंधकार हरण कर, ज्ञान का दीपक प्रज्जवलित करना है कोई आसान नहीं। […]

अज्ञानता का अंधकार जब छाया था जग में, विष घुलते इस दुनिया में हिंसा के चपेट में, अहिंसा का बाना चाहिए, सुकून का खज़ाना चाहिए । काट चुके बहुत नफ़रत की फ़सलें, अब तो हे प्रभु! प्रेम की बयार चलनी चाहिए। ज्ञान का प्रकाश फैलाया चौबीसवें तीर्थंकर ने। साधना, तप, […]

त्रिशला नंदन बनकर जग में आए, ऐसे हैं महावीर। माता-पिता का मान बढ़ाया, ऐसे हैं महावीर। कर्त्तव्य पथ पर चलने को उद्वेलित करते, ऐसे हैं महावीर। राज-पाट सब छोड़कर मानव सेवा का धर्म निभाया, ऐसे हैं महावीर। अहिंसा परमो धर्म: का पाठ पढ़ाते, ऐसे हैं महावीर। चौबीसवें तीर्थंकर बन कर […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।