स्वनाम धन्य है अमृतसर
नानक की धरा, अमृत है भरा
इक ऊंकार हर ज़ुबान पर रहे
सेवा का व्रत सबने है लिया
हिंदूस्तान की आज़ादी थी धर्म
खेत -खलिहान, गली-मोहल्ला
युवा–सा जोश, उम्र का नाम होश
1919 की बैसाखी ने रचा इतिहास
पंज दरिया की धरा ख़ून से नहाई
जलियांवाला बाग कुर्बानियों की दुहाई
जनरल डायर ने निहत्थों को भूना
अंग्रेज़ों ने बदले के लिए मासूमों को चुना
अंधे बहरे कानून ने गज़ब हिंसा दिखाई
घेरा गुरू के सेवकों को हुआ पीठ पर वार
मिनटों में हुई गोलियों की अंधाधुंध बरसात
बालक, वृद्ध, सुखमन भाई-बहन थे दंग
सभी रास्ते किये आततायियों ने बंद
कभी ना भूलें आज़ाद भारत ख़ून की होली
शरीर, आत्मा, मन, प्राण झेल रहे दनदनाती गोली
जलियांवाला बाग, स्वर्ण मंदिर कहे कहानी
हिंदूस्तान की आज़ादी में अमृतसर की ज़ुबानी
कायर जनरल की क्रुरता का वो खेला
लील गया मासूम दिलों से बैसाखी का मेला
शहीद स्मारक करें हम स्मरण सदा
नमन करें हर नाम को जो वहाॅं खुदा
तिरंगे की आन बान शान है जलियांवाला बाग
स्वनाम धन्य है अमृतसर
नानक की धरा अमृत है भरा
डाॅ.नीना छिब्बर,
जोधपुर, राजस्थान