श्री सम्मेदशिखर जी को पर्यटन स्थल घोषित करने के विरोध में बुन्देली भाषा में कविता। भाव सहित एक बार नमैं तो, फल में मुक्ति-रमा लो। सम्मेद शिखर है जान जैन की, मिलकैं ई खों बचा लो।। एन जोर से चीख-चीख कें कै रव पर्वतराज। खूब गुलामी के दिन देखे पर, […]
काव्यभाषा
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