मेरी माँ
मेरी मातृभूमि
मेरी मातृभाषा
हर जन्म मिले माँ तुम्हारा उदर
मातृभूमि-देवभूमि जन्मूँ तुम पर
बोलूँ “हिन्दी माँ” जैसा मीठा स्वर
जन्मदात्री माँ के संस्कारों से मिले मुझे संस्कार
सफल हुआ जीवन माँ बनकर
हो रही जयकार
सुई की नोंक से निकाला, यूँ बनके परवरदिगार
गृहस्थ एक तपोवन जाना, लुटाया अपनों पर प्यार
प्यार, दुलार, ललकार छैनी से मुझे तराशा
हर सपना सच होता रहा, पूरी हो रही आशा
मरुथल में जल बन बह, दूर की हरेक निराशा
तूफ़ानों में बनी पतवार, तुमसे सीखी जो परिभाषा
गलाकर तुमने निज जीवन स्व- परिवार निभाया
आंधी-पानी में आँचल से ढक बुझता दीप जलाया
उमड़ी जो करुणा धारा मुझ में माँ का रूप समाया
जिस दाता की देन मेरी माँ, जैसे परमेश्वर का साया
मणिमाला शर्मा
इंदौर, मध्य प्रदेश