हर असंभव को संभव बनाती माँ
साधारण रूप-रंग में चमचमाती माँ
भयानक वर्षा में छतरी बनती माँ
कड़ी धूप में बादल का टुकड़ा बनती माँ
दु:ख सागर में सुख पतवार बनती माँ
अंधेरे में आस की लौ बनती माँ
भीड़ भरी राह में संकेतक अंगुली बनती माँ
निवड़ अकेलेपन में जीवंत सखा बनती माँ
पराजय में भी मीठी चुम्मी देती माँ
जीत के जश्न में उत्सव–सी लगती माँ
भूख को सौंधी ख़ुशबू से जगाती माँ भरपेट होने पर और खिलाती सिर्फ़ माँ
कठिनाइयाॅं छुपाती, सुविधाएँ दिखाती माँ
हर काम के लिए मन्नत धागे बांधती माँ
सारा जग मुॅंह मोड़े बाॅंट जोहती माँ
मौन का भी इतिहास पढ़ती बस माँ
पहले शब्द से हृदय को पढ़ती माँ
कभी यशोदा, कभी जीजाबाई बनती माँ
कंगाल को भी कुबेर का एहसास दिलाती माँ
सचमुच जादूगरनी होती है माँ
#डाॅ.नीना छिब्बर
पता :
जोधपुर