टूटकर फिर उगते दरख़्त। उग कर फिर टूटते दरख़्त।। हर मुश्किल से जूझते दरख़्त। आसमां को चूमते दरख़्त।। सर उठाए झूमते दरख़्त। सर झुकाए जमीं को चूमते दरख़्त।। ज़मीन को न छोड़ते दरख़्त। नहीं किसी को ढूंढते दरख़्त।। नहीं किसी को छोड़ते दरख़्त। चाहतों की छांव से लुभाते दरख़्त।। […]
काव्यभाषा
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