अब स्वर्ग सिधार चुके एक ऐसे जनप्रतिनिधि को जानता हूं,जो युवावस्था में किसी तरह जनता द्वारा चुन लिए गए तो मृत्युपर्यंत अपने पद पर कायम रहे। इसकी वजह उनकी लोकप्रियता व जनसमर्थन नहीं,बल्कि एक अभूतपूर्व तिकड़म थी। इसमें उनके परिवार के कुछ सदस्य शामिल होते थे। दरअसल उन साहब ने […]
रचनात्मकता,खत्म हुई शायद, नकलों का जहाँ,बोलबाला है। झूठे लोगों की,जय-जयकार, सच्चे का मुँह यहाँ काला है। पंगु जहाँ,चढ़ने लगे पहाड़, सज्जन के,मुहँ पर ताला है। जहाँ बैठे भोले,बने सियार समझो,कुछ गड़बड़ झाला है। जहाँ जीते, हारे बैठे हैं, हारों के गले,विजयमाला है। समझ की बहती,नदी नहीं, समझो,अज्ञान का नाला है। […]
बहुत दूर है तुम्हारे घर से, हमारे घर का किनारा , पर हवा के हर झोंके से , पूछ लेते हैं मेरी जान, हाल तुम्हारा। लोग अक्सर कहते हैं, जिन्दा रहे तो फिर मिलेंगे, पर मेरी जान कहती है, निरंतर मिलते रहे, तो ही जिन्दा रहेंगे। दर्द कितना खुशनसीब है, जिसे पाकर अपनों को याद करते हैं, दौलत कितनी वदनसीब है ,जिसे पाकर लोग, अक्सर अपनों को भूल जाते हैं। इसलिए तो छोड़ दिया सबको, बिना वजह परेशान करना, जब कोई हमें अपना समझता ही नहीं, तो उसे अपनी याद दिलाकर भी क्या करना। जिंदगी गुजर गई, सबको खुश करने में, जो खुश हुए वो अपने नहीं थे, और जो अपने थे मेरी जान, वो भी खुश नहीं हुए। इसलिए संजय कहता है, कर्मो से डरिए , ईश्वर से नहीं, ईश्वर माफ़ कर देता है, परन्तु खुद के कर्म नहीं। #संजय जैन परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब […]