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रब का बन्दा रोए काहे, तू है रब का बन्दा.. काहे बाँधे वो धागे,जो बन जाए फन्दा। कोशिश तो कर खुलेगा, इन हवाओं से लिपटकर तू भी बहेगा महसूस होगा तू भी है ज़िन्दा, काहे रोए तू है रब का बन्दा। कहता सौ वारी सौ बातें ये जहाँ, इनके कहे […]

माँ को तड़पता सिसकता कराहता देख मन विचलित हो जाता है, आँखों में आंसू नहीं मन तड़प जाता है। मां की जिन्दगी के अंतिम पड़ाव का ये हाल देखा नहीं जाता है, दर्द दिल का सहा नहीं जाता है। अन्न जल मोह माया सभी तो त्याग दिया है, सांसों ने […]

इधर सोशल मीडिया पर  ‘कौए-कोयल’ के नाम पर जारी नए पुराने हिसाब चुकाने का खेल देखकर लगता है,जैसे इस बार शीत के बाद ‘बसंत’ नहीं, ‘पतझड़’ आ गया हो। पिछले दिनों बेशक कुछ अलग कारणों से ही सही, साहित्य जगत में कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न उठाए गए,लेकिन वे विवादों में उलझकर अपने उद्देश्य […]

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा हिन्दी और भारतीय भाषाओं की शोध पत्रिकाओं को सूची से बाहर कर देना अनुचित,अतार्किक और अव्यावहारिक निर्णय है। जब संविधान और राष्ट्र हिन्दी के साथ है,तो फिर आयोग को भारतीय भाषाओं से गुरेज क्यों है? अब समझ आया कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग,यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन यूजीसी (यूजीसी ) […]

कब आओगे रविवार? काम बहुत है, जो रख छोड़े, भरोसे तुम्हारे प्यारे रविवार| साफ-सफाई कपड़ों की धुलाई, घर को सजाना है, कब आओगे रविवार? दोस्तों को बुलाना है, उनके घर भी जाना है, पिकनिक मनाना है, आ भी जाओ रविवार | बना लूँ कोई शिल्प आकृति , या कर लूँ […]

इश्क़ को कुछ दिनों में, बांधना गुनाह है। इश्क व्यापार नहीं, बस दिली चाह है। पश्चिमी सभ्यता में, दिन हैं बँधे हुए। रिश्ते उलझनों में, दिल है खुले हुए। रिश्तों की मर्यादा, यहाँ खुद से है वादा। यहाँ तो प्यार भी, मीरा-सा बेपरवाह है।       #शशांक दुबे लेखक […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।