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न
नवल मंजु शुभ सुबह हो,सुखदायक हर शाम।
या
यादें प्रिय-हिय में बसी,रहे अधर पर नाम।।
सा
साथ सदा त्यौहार हों,और ख़ुशी हर ओर।
ल
लहराए मन झूम के, हो रंगों का जोर।।
मं
मंदिर-सा महके सदा,यश वैभव सब ओर।
ग
गर्वित भाल उठा रहे,खिली रहे हर पोर।।
ल
लघु स्वर्णिम रवि रश्मियाँ,हिय में भरें प्रकाश।
म
महकाए अपनत्व ही, साक्षी है आकाश।।
य
यही कामना है प्रभु ! जीवन रहे निरोग।
हो
हो वर्षा सुख-शान्ति की,प्रिय से हो संयोग।।
#शुभा शुक्ला मिश्रा ‘अधर’
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