दूर जाना
और दूर होना
दो अलग बात है,
क्या कहूँ?
रिश्तों के दरम्यान
ये तो समय की बात है।
विश्वास,मधुरता
यही यादों की बात है,
पुराने छूटते हैं..
नए मिलते हैं,
ये तो अरसों से बात है।
जुड़ जाते हैं
कैसे ये?
स्नेह के बन्धन,
ये तो एक-दूजे के
विश्वास की बात है..
होंठों पर मुस्कान देना
और लाना
दो अलग बात है।
मिलना-बिछड़ना,
सिक्के के दो पहलू हैं..
याद करना
और याद आना,
एक अहं बात है..
सच कहूँ,
ये तो दिल से जुड़े
रिश्तों की बात है!
#शालिनी साहू
परिचय : शालिनी साहू इस दुनिया में १५अगस्त १९९२ को आई हैं और उ.प्र. के ऊँचाहार(जिला रायबरेली)में रहती है। एमए(हिन्दी साहित्य और शिक्षाशास्त्र)के साथ ही नेट, बी.एड एवं शोध कार्य जारी है। बतौर शोधार्थी भी प्रकाशित साहित्य-‘उड़ना सिखा गया’,’तमाम यादें’आपकी उपलब्धि है। इंदिरा गांधी भाषा सम्मान आपको पुरस्कार मिला है तो,हिन्दी साहित्य में कानपुर विश्वविद्यालय में द्वितीय स्थान पाया है। आपको कविताएँ लिखना बहुत पसंद है।
bahut sunder rachna hai