माँ के आंचल में लेकर किलकारी, बोलना सीखते अपनी मातृभाषा। जिसमें बुने जाते हैं मीठे-मीठे रिश्ते, पाकर जिसे पूरी हो हर अभिलाषा। बरगद-सी,अमराई-सी है मातृभाषा, फैली है हमारे अंदर इसकी आभा। समाज,परिवार,देश की मजबूती, गठबंधन बनाए रखती है मातृभाषा। बहुत दुखती है,हिन्दी की अंतरात्मा, जब हम शान से बोलते अंग्रेजी […]

न अब एक भी लम्हा खारा करेंगे, हम आँसू भी मीठे बहाया करेंगे । वहीं तक ये रस्ते मेरे नाम हैं बस , कि जुगनू,जहाँ तक उजाला करेंगे । ये सोचा है अब मैकदे छोड़कर हम, तुम्हारे तसव्वुर में बहका करेंगे । मुकद्दर से लेकर इजाज़त ही अब, नया कोई रिश्ता हम बनाया करेंगे । इन […]

पहले के जमाने में रोशनी नहीं होती थी,पर आजकल हमारे घरों में या बड़े समारोह में इतनी रोशनी होती है कि, मानो दिन निकल रहा हो,इस पर ये सवाल है कि,फिर ऐसे में रात्रि भोजन में क्या दोष है ? मेरा कहना है कि, सूर्य के अस्त होते ही सूक्ष्म […]

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आज फिर दिल ने एक नगमा गाया है, मुद्दतों बाद कोई हमें याद आया है। उन पुराने पन्नों से धूल सारी उड़-सी गई, सूखी स्याही ने भी कुछ लिखना चाहा है। बुझे चिरागों से रोशनी-सी आई है, खिजा के फूलों ने फिज़ा महकाई है। दिल-ए-तन्हा आज फिर मुस्कुराया है, मुद्दतों बाद कोई हमें याद आया है। आज रंगे शमा खिला-खिला-सा है, अंदाजे शोर कुछ महफिल-सा है। प्यासे प्यालों ने जी भर के ज़ाम पाया है, मुद्दतों बाद कोई हमें याद आया है।                           […]

पर्वत की चोटी पर जाकर, नाकाम होकर लौट आना.. दर्द की दवा ही दर्द का, हर बार बन जाना। कोई क्या देगा तुमको ख़ुशी, जब मुकद्दर में हो.. हर वक्त ही लिखा, ग़मों का बोझ उठाना। ईमानदारी का वजूद खुद, अंधकार में हो जब.. क्या रोशन करेगा किसी का, राहों […]

क्या खूब विकास मेरा देश कर रहा है, गाँव का हर दूसरा बच्चा चप्पल को तरस रहा है, एच्आईवी/टीबी/कैंसर तक को धूल चटा दी हमने, अफ़सोस भूख से सिर्फ गरीब मर रहा है। काबिल युवाओं से भरा पड़ा देश मेरा, दुर्भाग्य कि,अंगूठा टेक के भरोसे सब, दलित का विकास,योग्य को […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।