देश की खतिर दिल को तोड़े,
घर अपना ये खुद ही छोड़े।
कितने अरमा कितने सपने,
ख्वाब सजाए दिल में कितने।
याद सताए जब अपनों की,
लिखी है पाती फिर सपनों की।
मन बंजारा इत-उत डोले,
पी की याद में मन ये बोले।
लिख दूँ खत मैं तुमको जाना,
मुश्किल मेरा घर पर आना।
याद तुम्हारी बहुत सताए,
पल-पल मुझको पास बुलाए।
खुद ही रोकूँ,खुद को सम्भालूं,
देश के ऊपर जान लुटा दूँ।
#संगीता शर्मा
परिचय : संगीता शर्मा मूलतः शाहगंज आगरा में रहती हैं।आप लेखन में पूरी तरह सक्रिय हैं,इसलिए लघुकथा ही नहीं,कहानी,कविता,गीत,ग़ज़ल,छंद,मुक्तक आदि में अपनी भावनाएँ दर्शाती रहती हैं। सम्मान के रुप में आपको मुक्तक मणि,सतकबीर और मानस मणि से प्रशंसित किया गया है। आपकी दो रचनाओं (‘प्यार की तलाश’-कहानी तथा ‘धूप-सी जिंदगी’-कविता) को भी सम्मान मिला है। हिन्दी के साथ ही पंजाबी में भी आपकी लघुकथाएँ प्रकाशित हुई हैं।