सुबह की चाय के साथ ज्यों ही अखबार खोलकर बैठी,एक मन्द-सी मुस्कान अनायास ही मेरे चेहरे पर बिखर गई। पूरा अखबार डिस्काउन्ट सेल के विज्ञापनों से भरा पड़ा था..और हो भी क्यों नहीं,आखिर महिला दिवस (‘वूमन्स-डे’)जो था। इस तरह के क्षणिक आकर्षण ही तो ऐसे ‘डे’ के पर्याय बनते जा […]
दरिया बहती… बढ़ती जाती… पल-पल एहसास कराती, नदियों से मिल.. खिल लहरों से, नव सागर एक दीप्त बनाती…। कभी थमना तो,तेज बहते जाना… जीवन का खेल सिखाती मुस्कुरा खुशियों से.. गमों में यूँ गुनगुना, कल..आज-कल… क्या हुआ,अब होगा क्या..? अनुरागी-वैरागी मन… रचती जन्म-जन्मान्तर… जागृत पुण्यों को करती। रागिनी बन दिल […]