कहाँ गया वह आँगन जहाँ होती अन्न की रोपाई थी, आलू, टमाटर, प्याज, धनिया संग उगाई ताजगी जाती थी, अपनी खेती कहने में गर्व और खानपान में न मिलावट थी, पौधों से ऑक्सीज़न मिलती और सब्जियाँ ऑर्गेनिक कहलाती थीं, हर घर रहता हरियाली का वास, रोगों की न होती थी […]

पुस्तक समीक्षा – सींगवाले गधे (व्यंग्य) लेखक – प्रेम जनमजेय समीक्षक – डॉ. अखिलेश राव देश के प्रसिद्ध व्यंग्यकार प्रेम जनमजेय की पुस्तक “सींगवाले गधे” को देखते ही व्यंग्य के साथ हास्य उत्पन्न हुआ। मुहावरा पड़ा था ‘गधे के सिर पर सींग नहीं होते’ शीर्षक पढ़ते और आवरण पृष्ठ पर […]

जन्मजयंती (4 जून पर विशेष) प्रो.संजय द्विवेदी ख्यातिनाम कथाकार ,उपन्यासकार श्रीमती मालती जोशी के निधन की सूचना ने साहित्य जगत में जो शून्य रचा है, उसकी भरपाई संभव नहीं है।गत 15 मई, 2024 को उन्होंने अपनी नश्वर देह त्याग दी। अपनी रचनाओं के माध्यम से भारतीय परिवारों के रिश्तों, संवेदनाओं, […]

शत–प्रतिशत सच है, कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती। न देखी जाती है उम्र, स्वयं की और न सामने वाले की। बस होनी चाहिए, मन के एक कोने में ललक, संग कुछ पाने की जिज्ञासा। हाॅं…. सीखा जा सकता है, एक छोटे बच्चे से। सीख सकते हैं बुज़ुर्ग से, […]

ज़िंदगी हमसे कितनी हमें दूर ले गई एक सदा–ए-समा जो घबराती रहे हालात–ए–सर्द निग़ाहों में कुछ भी नहीं हम दरिचों में ख़ुद को सजाते रहे ज़िंदगी की पनाहों में कुछ तो मिले उनींदी राहों में बड़बड़ाते रहे आज कल तो हमीं दाव पर हाल है हम सजाएँ सहर थरथराते रहे […]

कभी भी… चार दिवारी में कैद होकर खुद को सबसे जुदा नहीं करना चाहिए। उम्मीद के लिए घर की तरह ही एक खिड़की हमेशा खुली रखना चाहिए। उजाले की कोई किरण…. कभी कोई पैगाम ले आएगी। कभी चमकती धूप से मन की उदासी छट जाएगी। धूप-छाँव से जगमग होगी सारी […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।