सम्वेदनाओं का ज्वार यदि कविता का द्वार पा जाए तो उसकी अभिव्यक्ति व्यष्टि से समष्टि की ओर हो जाती है। जब भी मानव मात्र अपने मन के उहापोह ,अंतर्द्वंद ,अचेतन के सन्ताप व अधूरी इच्छाओ को प्रकट नही कर पाता या उनके लिए सुपात्र नही खोज पाता तो उसका सेतु […]

इंदौर(कीर्ति राणा) । शहर में आए दिन कथा-प्रवचन-भंडारे तो होते रहते हैं लेकिन हैप्पी स्वामी की बातें एक तरह से ठहाकों का भंडारा था। लगा नहीं किसी संत को सुन रहे हैं, अहसास होता रहा अपने घर का कोई बुजुर्ग तीर्थाटन के बहुत दिनों बाद अपने बीच आया है और […]

मुझे तजुर्बा नहीं इतना कि, जिंदगी का हिसाब करुं बस जो पल मिल जाते हैं, उन्हें अपना किये जाती हूँ। तुम ढूंढ लो उन किनारों को, जो साहिल से जुड़े न हों तजुर्बेकार बनते हो, गुल से अलग करके देखो सुगन्ध कहाँ ठहरी, सलीकेदार बनते हो। एक अदब-सा है निगाहों […]

कैसे मनाऊं खुशियां, नववर्ष! तेरा मुझसे क्या नाता ? बिलखते भूखे बच्चे रोते, सर्द ठिठुरती माता… सड़कों पर किलकारी सोती लिए सपनों में सन्नाटा, अपमानित होती हर बाला मन जब नोंचा जाता। जर्जर काया मां की बोली पूत क्यों न घर लाता, उदास खड़ा पिता दरवाजे मन को रहा मनाता। […]

अपने-अकेले क्षणों में तुम बहुत याद आते हो, खासकर जब चाय साथ पीते थे उस झूले पर जब साथ हाथ पकड़े पार्क में घूमते थे, जब एक रोटी का आखरी निवाला तुम चुपके से उठाकर खा जाते थे, जब गिलास का पानी पीकर फिर से मांगते थे, हर वो बात […]

न अँधेरों के किस्से न उजालों की बातें, कोई नींद में कर रहा है निवालों की बातेंl यहाँ भूख रक्स करती गरीबों के आँगन, अमीरों की आदत घोटालों की बातेंl कोई मन की बातें करता यहाँ पर, कहीं हो रही हैं सवालों की बातेंl कहीं भाई-चारे की चढ़ती रहती है […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।