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अपने-अकेले क्षणों में
तुम बहुत याद आते हो,
खासकर जब चाय साथ पीते थे
उस झूले पर
जब साथ हाथ पकड़े
पार्क में घूमते थे,
जब एक रोटी का आखरी निवाला
तुम चुपके से उठाकर खा जाते थे,
जब गिलास का पानी पीकर
फिर से मांगते थे,
हर वो बात
जब नोक-झोंक होती थी
हर वो बात
जब हम रूठते थे,
और इंतजार करते थे
कि तुम पलट के ‘माफी’ बोलोगे,
हर वो पल
याद आता है,
सच
अकेले क्षणों में
तुम बहुत याद आते हो।
#विजयलक्ष्मी जांगिड़
परिचय : विजयलक्ष्मी जांगिड़ जयपुर(राजस्थान)में रहती हैं और पेशे से हिन्दी भाषा की शिक्षिका हैं। कैनवास पर बिखरे रंग आपकी प्रकाशित पुस्तक है। राजस्थान के अनेक समाचार पत्रों में आपके आलेख प्रकाशित होते रहते हैं। गत ४ वर्ष से आपकी कहानियां भी प्रकाशित हो रही है। एक प्रकाशन की दो पुस्तकों में ४ कविताओं को सचित्र स्थान मिलना आपकी उपलब्धि है। आपकी यही अभिलाषा है कि,लेखनी से हिन्दी को और बढ़ावा मिले।
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Wed Dec 13 , 2017
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