मर्ज कातिल हुआ, दवा करते नहीं। इश्क काबिल हुआ, बयां करते नहीं। इतनी भी दूरियां, अच्छी नहीं हमदम। मिलते हो ख्वाब में, नजरें अता करते नहीं। रफ्ता-रफ्ता, उतर ही जाएगी। मुश्किलें खुद गुजर ही जाएंगी। हौंसला तुम भी ‘विजय’, बेवजह करते नहीं। मिल के लिख लेंगे सनम, नज्में जिंदगी की […]

हमारे बीच जो दीवारें हैं, उन्हें लांघने से पहले कुछ कहना चाहूंगी.. साथी मेरे मैं कोमल हूँ, मन से भी गर सम्भाल सको, तो छूना। मैं अहसास हूँ, विश्वास हो तो पाना, मैं गीत हूँ.. गर गा सको तो साधना। मैं तपस्या हूँ, गर कर सको तो गाँठना.. मुझे बन्धन […]

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नीर नयन है, पग बन्धन है क्यों नारी ये तेरा जीवन है। पुलकित तन, सुन्दर काया क्यों जीवन में परिवर्तन है। तुझसे ही महक चन्दन है, संघर्षों में क्यों चीर दामन है। भोला मन है धीर चेतना मन पर सौ-सौ डाले बन्धन है। नीर नयन है, पग बन्धन है क्यों […]

मधुबन जीवन,एक महकता तपती धरा तब नीर बरसता। राही तू क्यों,छाँव तलाशे? आलौकित कर जीवन पथ को। जो मिल जाए,तू अपना रे, राह पर अपनी बढ़ता जा रे। सुख की रातें गन्ध मारती, दुःख ही है सुखों का सारथी। जलकर बाती उजियारे पाती, मिले न इच्छित तो जश्न मना। रीत […]

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आखिर भारतीय सेना में महिलाओं को युद्ध में कंधे से कंधा मिलाकर लड़ने की अनुमति मिल गई,ये खबर जब पढ़ी तो उन महिलाओं का जीवन और संघर्ष याद आ गया, जो अपनी चुनी राह पर चलने के लिए आज भी अपने घर परिवार और समाज से संघर्ष कर रही है। […]

आज कहूँ अंतर की बात, गुजरा जीवन गहरी रात। धीर छूटता नीर बरसता, चुप ज्यूँ भोर की उजास चुभते भूले से व्याघात, आज कहूं अंतर की बात। नीरस वाणी सूखी आशा, गहरे छुपी प्रेम पिपासा अपनों से मिले आघात, आज कहूं अंतर की बात। साथी जीवन बीता आधा, बिन जाने […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।