तेरा जीवन है…

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vijaylakshmi
नीर नयन है,
पग बन्धन है
क्यों नारी ये
तेरा जीवन है।
पुलकित तन,
सुन्दर काया
क्यों जीवन
में परिवर्तन है।
तुझसे ही
महक चन्दन है,
संघर्षों में क्यों
चीर दामन है।
भोला मन है
धीर चेतना
मन पर सौ-सौ
डाले बन्धन है।
नीर नयन है,
पग बन्धन है
क्यों नारी ये
तेरा जीवन है॥

                                                                #विजयलक्ष्मी जांगिड़

परिचय : विजयलक्ष्मी जांगिड़  जयपुर(राजस्थान)में रहती हैं और पेशे से हिन्दी भाषा की शिक्षिका हैं। कैनवास पर बिखरे रंग आपकी प्रकाशित पुस्तक है। राजस्थान के अनेक समाचार पत्रों में आपके आलेख प्रकाशित होते रहते हैं। गत ४ वर्ष से आपकी कहानियां भी प्रकाशित हो रही है। एक प्रकाशन की दो पुस्तकों में ४ कविताओं को सचित्र स्थान मिलना आपकी उपलब्धि है। आपकी यही अभिलाषा है कि,लेखनी से हिन्दी को और बढ़ावा मिले।

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

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