साहित्य सिर्फ समाज का दर्पण ही नहीं होता,बल्कि समाज को परिष्कृत कर नई दिशा भी सुझाता है….दिखाता है…..पहला कदम बढ़ाता है और इसके लिए साहित्यकार न जाने कितनी रातें और कितने दिन कुर्बान कर मानसिक रूप से वहाँ हो आता है ….उसको जी लेता है। सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव की […]
आंदोलन
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अंतरराष्ट्रीय `मातृभाषा दिवस` के अवसर पर कोलकाता में जुटे सैकड़ों प्रदर्शनकारियों की यह सम्मिलित आवाज थी-‘हिन्दी बचाओ मंच’ की ओर से ऐतिहासिक कॉलेज स्क्वायर स्थित विद्यासागर पार्क के मुख्य द्वार पर। कलकत्ता विश्वविद्यालय के सामने भोजपुरी और राजस्थानी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग और मनोज तिवारी सहित कुछ […]