कवि पारस बिरला की निमाड़ी कविता ‘धीर सी देख्यो मना’

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धीर सी देख्यो मना,
धीर सी देख्यो मन रनुबाई केतरी प्यारी लागऽ

अंबा का पाछ सी झाक रणु बाई
सखी संग धनियर क ताक रणु बाई
धनियर जी की वा तो राणी लाग
केतरी प्यारी लाग -२

धीर स देख्यो मना -२ रणुबाई केतरी प्यारी लाग

जब भी शृंगार म्हारी रणुबाई कर रे
चंदा की चाँदनी भी फीकी पड़ रे
काजल भी लगाई न कवारी लाग
केतरी प्यारी लाग -२

धीर सी देख्यो मना -२ रणुबाई केतरी प्यारी लाग

छम छम कर पायल नाच रनुबाई
धनियर जी लिख न वाच रणुबाई
चमकीली रणुबाई साड़ी लाग
केतरी प्यारी लाग -२

धीरे सी देख्यो मना -२ रणुबाई केतरी प्यारी लाग

पारस बिरला,

बडूद, मध्यप्रदेश
परिचय-
नाम – पारस बिरला गुर्जर
पिता नाम – श्रीमान गुलाबचंद बिरला
ग्राम – बडूद ज़िला खरगोन( म.प्र )
कार्य – कवि व गीतकार ( निमाड़ी व हिन्दी )
उम्र – 22 साल
शिक्षा – MA हिन्दी साहित्य से जारी

  • दस से ज़्यादा सम्मान कविता के क्षेत्र में।
  • वर्ष 2024 में मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा “काव्य दीप सम्मान” से सम्मानित।
  • निमाड़ी में कई गीत वायरल हुए सोशल मीडिया पर 15 लाख से ज़्यादा लोगो ने पसंद किए!
  • ⁠नेशनल टीवी पर भी अपनी कविताएँ पढ़ चुकें है
  • निरंतर निमाड़ी व हिन्दी की सेवा अपने गीतों के माध्यम से
  • ⁠निमाड़ी लुप्त होती जा रही है, मैं अपने गीतों व कार्यक्रमों के माध्यम से निमाड़ी को प्रचारित करने की कोशिश में लगा हूँ।
  • ⁠गीत निमाड़ के टीवी चैनलों पर चलते है।
  • किताब निमाड़ी गीतों की तैयार हो रही है।
  • ⁠आधे दशक से कवि सम्मेलन में सक्रिय।
  • ⁠भविष्य में निमाड़ महोत्सव जैसे कार्यक्रम करके निमाड़ में पसंद की जाने वाली चीजों को मंच के माध्यम से दर्शाना व अन्य कार्य।

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