काव्य कुँअर 2024 और काव्य दीप सम्मान समारोह सम्पन्न

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साहित्यकार होने की पहली शर्त बेचैन होना है- श्री कोकजे

शब्दों की आराधना है कवि सम्मेलन – शशिकान्त यादव

इन्दौर। कवि सम्मेलन शताब्दी वर्ष में डॉ. कुँअर बेचैन जी की जन्म जयंती के निमित्त मातृभाषा उन्नयन संस्थान व डॉ. कुँअर बेचैन स्मृति न्यास, ऑस्ट्रेलिया द्वारा काव्य कुँअर व काव्य दीप सम्मान समारोह का आयोजन सोमवार को श्री मध्यभारत हिंदी साहित्य समिती में सम्पन्न हुआ।
आयोजन के मुख्य अतिथि हिमाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल विष्णु सदाशिव कोकजे, विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय कवि शशिकान्त यादव जी, इन्दौर प्रेस क्लब के अध्यक्ष अरविंद तिवारी रहे।

अतिथि स्वागत डॉ. पद्मा सिंह, अरविंद जवलेकर, डॉ. नीना जोशी, रमेश चंद्र शर्मा, नितेश उपाध्याय, गोपाल गर्वित व अवनीश पाठक ने किया। स्वागत उद्बोधन डॉ. अर्पण जैन ’अविचल’ ने दिया।

कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध कवि सरोज कुमार जी को स्वर्णाक्षर सम्मान से सम्मानित किया गया। साथ ही कुँअर बेचैन जी की पुस्तक पिन्स वेरी मैनी का विमोचन भी हुआ।
मुख्य अतिथि विष्णु सदाशिव कोकजे ने कहा कि ‘साहित्यकार होने की पहली शर्त बेचैन होना है, जब तक आपके अंदर से बेचैनी, तड़प नहीं होती, तब तक अच्छा साहित्य नहीं गढ़ा जा सकता।’ उन्होंने यह भी कहा कि ‘टेक्नोलॉजी के युग में कवि और साहित्यकारों को तकनीक से जुड़ना चाहिए।’

शशिकान्त यादव ने अपने वक्तव्य में कहा कि ‘कवियों में संत के रूप में कुँअर बेचैन सदैव याद किए जाएँगे। और कवि सम्मेलन शब्दों की आराधना है।’

सम्मानमूर्ति सरोज कुमार जी ने कहा कि ‘इन दिनों कवि सम्मेलनों का रूप बदला है,यह वाचिक परम्परा का देश है, कण्ठ से होता हुआ नए शब्दों को जोड़ता हुआ आगे बढ़ता है। कवि सम्मेलनों को शुचितापूर्ण होना चाहिए। जो अकवियों का प्रवेश हो गया है उसे रोकना चाहिए। अन्यथा कविता का नुकसान होगा।’

इस अवसर पर मंचीय कवियों में बड़वानी से नितेश कुशवाह, मनावर से प्रद्युम्न शर्मा भानु, उज्जैन से श्रीकांत सरल, सीधी से शशांक मिश्रा अंकुर, भीकनगाँव से कृष्णपाल राजपूत, शाजापुर से अमन जादौन, इन्दौर से लव यादव, ब्रजेश मस्ताना, आकाश यादव, रिया मोरे, सचिन राव विराट, शिवम सिंह, मौलिक पलौड़, रायसेन से नितेश व्यास, देवास से सक्षम राहुल, ओंकारेश्वर से शारदा ठाकुर, बड़ूद से पारस बिरला, देपालपुर से पृथ्वीराज वंशलेखक, गौतमपुरा से रुद्रांश राव और सुसनेर से हरिओम शर्मा काव्य दीप सम्मान से सम्मानित किया गया।

काव्य कुँअर में कवियों ने काव्य पाठ भी किया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. अखिलेश राव ने व आभार पंकज प्रजापति ने माना।

आयोजन में वरिष्ठ साहित्यकार राकेश शर्मा, महेन्द्र सांघी, राममूरत राही, कीर्ति राणा, चंद्रशेखर शर्मा, अर्देन्दू भूषण, मुकेश तिवारी, अनिल भोजे, जय सिंह रघुवंशी, अमन अक्षर, मणिमाला शर्मा, सरला मेहता, सुरेन्द्र सिंह राजपूत, अनुपमा समाधिया, नीलम सूर्यवंशी, उमेश पारेख, डॉ. संध्या सिलावट, गौरव साक्षी, समर्थ भावसार, मौसम कुमरावत, अमित अभ्यंकर, सपना मिश्रा, आरती दुबे, मनीषा व्यास, गोपाल इन्दौरी आदि सुधिजन मौजूद रहे।

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।