हिन्दी का दुर्भाग्य

0 0
Read Time1 Minute, 34 Second

हिन्दी का दुर्भाग्य

hindicheque
हिन्दीभाषी देश, जिसकी राजभाषा हिन्दी है, वही वित्तीय संस्थान का तुगलकी फरमान ….
आख़िर #हिन्दी में चेक भरना क्या गुनाह है?
या विदेशी ताकतों के आगे बिका हुआ तंत्र अब #हिन्दी को इस तरह से लज्जित करके विलुप्ता की ओर ले जाएगा |
प्रधानमंत्री Narendra Modi जी , कम से कम आप तो विचार कीजिए…. आख़िर किस साजिश का हिस्सा है यह…..?
हिन्दी को प्राण तक अर्पण करने वाले हम हिन्दी भाषियों का इस तरह तिरस्कार मत कीजिए ….
हिन्दी हमारी मातृभाषा है, हम हिन्दी को #राष्ट्रभाषा का दर्जा चाहते है…. और ये राह के रोड़े हमारा मनोबल नहीं तोड़ पाएँगे …
माँ सरस्वती के साधकों का अपमान, अब और नहीं सहेगा हिन्दुस्तान….
देश की #सीमाएँ संभाल नहीं रही, #गौवन्श की रक्षा कर नहीं पा रहे, #सैनिकों के सिर बचाने में असमर्थ है आप… अब रही-सही #भाषा पर भी नकेल…..
अभी भाषावाद ने अपना रंग नहीं दिखाया है…. वरना देश जवाब देना भी जनता है ….
आपसे ये अपेक्षाएँ नहीं थी देश की….

—– अर्पण जैन ‘अविचल’
www.matrubhashaa.com
#hindibhasha #हिन्दी #मातृभाषा #अर्पण

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

Term paper aid: high quality paperwork and affordable prices with all the work deadlines you need

Fri May 5 , 2017
Term paper aid: high quality paperwork and affordable prices with all the work deadlines you need this article describes feasible reasons behind student’s malfunction when producing various documents by themselves together with a way out of this scenario, which can be trustworthy and loved globally. Post Views: 312

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।