खड़ा रहूँगा अविचल होकर संकट के तूफानों में , डटकर बना रहूँगा सदैव मुसीबत के मैदानों में । राह में ऐसा बहुत मिलेगा,जो मुझे गिराना चाहेगा , देखकर मेरा कर्म और मेहनत नतमस्तक हो जायेगा । सबकुछ करके भी भले,मैं न जाना जाऊँगा, पर अपने जीवन में, मैं हार नहीं […]

आज भी याद आता है अपनी वो पहली रेल यात्रा…कक्षा एक की विद्यार्थी मैं, अशोक कुमार के स्वर में वो गीत ‘रेलगाड़ी छुक-छुक-छुक,बीच वाली स्टेशन बोले रुक-रुक-रुक…’ रेलगाड़ी की कल्पना बस इसी गाने ही से तो थी. पता नही उस दौरान वातानुकूलित बोगी की सुविधा थी या नहीं…हम प्रथम श्रेणी […]

ऊपर वाले को ढ़ूंढ़ते मंदिर-मस्जिद में, जबकि बैठा है वो अपने ही दिल में । प्रेम-भाव से ही ईश्वर का नाता है, क्यों फिर मानव आडंबर अपनाता है । भूत, भविष्य, वर्तमान का ज्ञाता है वो, इस संसार का भाग्य-विधाता है वो। प्रभु की दृष्टि में तो सब है एक […]

मिथिला की हर नारी सीता हर नारी में सीता मां मेरी मैथिली इस कारण…. माँ मेरी सीता जन्म कर्म का जोड़ यही माँ बन गई सीता… उसने जो जाना सीता जिसको उसने माना सीता हमें सीख में दे गई वो सीता पोथी रामायण की आदर से पकड़ाकर  बोली बेटी तुम […]

जो करते थे शब्दों से प्यार वो कवियों के सरताज रच कर इतिहास चले छोड़ हमारा साथ चलें सुनकर जिनके अल्फाज बढ़ जाता मन में विश्वास अपने शब्दों के जादू से जो करते हर एक दिल पर राज ऐसे कवि थे श्री गोपालदास शांत छवि मधुर मुस्कान सदा याद रखेगा […]

कितने भी कर ले मुझ पर सितम या दे जमाने भर का गम तेरे लिए सब माफ़ है संग तेरे रिश्ता ही कुछ खास है बना ले चाहे मुझ संग कितनी भी दूरी अपनी भी तो है कुछ मजबूरी खुश रहे या तू रहे उदास अपना दिल रहेगा तेरे ही […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।