मिथिला की सीता”

0 0
Read Time3 Minute, 38 Second
aparna jha
मिथिला की हर नारी सीता
हर नारी में सीता
मां मेरी मैथिली
इस कारण….
माँ मेरी सीता
जन्म कर्म का जोड़ यही
माँ बन गई सीता…
उसने जो जाना सीता
जिसको उसने माना सीता
हमें सीख में दे गई वो सीता
पोथी रामायण की
आदर से पकड़ाकर  बोली
बेटी तुम मिथिला की…
मैं ना बताऊंगी और ना
समझाऊंगी
मेरी नज़रों में क्या है सीता…
परिपक्व हो गई अब तुम तो
कौन सा पक्ष सीता का
तुझे है भा रहा…
तेरी नज़रों में है कैसी सीता
बचपन गुज़री,खुशियां यौवन की
अबतक सीता का मर्म ना
मैंने समझा
गार्हस्थ जीवन है अब तो
जोड़ कई संघर्षों  का
अहंग अहंग से भिड़ता-लड़ता
ऐसे में क्या कहती सीता…
अब तो मैं भी जीती सीता
खुद में कैसी चीख ये आई
क्यों जन्म मेरा सीता धरा
मेरी नज़रों में सीता
यानी ‘हर बातों में है झुकना’
आज यक्षप्रश्न का मुझ पर
भी प्रहार हुआ
हर संवाद माँ का यानी सीता
फिर याद हुआ
गलत नही तो  झुकना कैसा
 तर्कों में फिर जवाब हुआ
अब बाबूजी की बारी आई
 शालीनता से जो वो कथ्य कही
“ये तो सब है प्रभु की माया…
बेटा स्त्री होती है सही हमेशा
झूठे अहंग को ही हमेशा वो
मान-सम्मान है मानता
तुम पत्नी हो, तुम उसकी हो प्रेमीका
जी जाने दो अहंग के उसको
इस बात को वह भी है जानता
सीता का मर्म यही…
हो तुम परिवार की शीर्ष और आधार
तुम ही बिखर गई तो
कैसे सुदृढ हो संस्कृति और संस्कार
अब तुम सही अर्थों में समझोगी
कौन थी वह सीता
किस मिट्टी से बनी थी मिथिला
माँ यानी सीता मंद-मंद मुस्कुरा रही
बाबूजी यानी नींव की
मजबूती को सराह रही
और मैं अब…
असल मैथिलानी हूँ
बन सीता  अपने राम को
संवार रही हूं…
“रामराज्य होगा ” खुद में ये
सोच जगा रही हूं
मतिभ्रष्ट ना होने पाए मेरे राम की
कोशिश मेरी बस उस धोबी के
पहचान की
धन्य है मिथिला…
धन्य है राजा जनक
जो है पिता…
जय हो राम लक्ष्मण जानकी
जय बोलो भगवान की.
          #अपर्णा झा
परिचय:अपर्णा झा,मिथिलांचल की बेटी,फरीदाबाद निवासी है.इन्होंने विषय द्वै (फ़ारसी एवं museology क्रमशः दिल्ली के जेएनयू एवम राष्ट्रीय संग्रहालय संस्थान)परास्नातक किया है सम्प्रति ये लेखन कार्य से जुड़ी हुई हैं.अनेकों साझा संग्रह एवं राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं,वेब,अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में इनकी लघुकथा,आलेख,एवं रचनाएं प्रकाशित हुई हैं.सांस्कृतिक स्थलों में भ्रमण और हिन्दुस्ततानी संगीत सुनने का शौक है.पूर्व में इन्हें तीन साल का संग्रहालय के क्षेत्र में कार्य करने का अनुभव है.

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

सोचता हूँ ..........

Mon Jul 30 , 2018
सोचता हूँ आज मौत से दोस्ती कर लूँ जिस्म को रख गिरवी  रूह का व्यपार कर लूँ बहुत टूटे हैं मेरे सपने  इस बाजार में उस  संसार में सबको साकार कर लूँ धोखे के जखमों का दर्द अब सहा नहीं  जाता अनदेखे लोक के मरहम को लगा के देख लूँ नहीं दिखता शीशे  में अक्स […]

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।