मानसून अकेला नहीं आता,मानसून दल-बल के साथ आता है।अकेले आने में उसे डर लगता है। हमारे यहां मानसून आता है तोलगता है, नेताओं का झुण्‍ड आ रहा है कभी लगता है अधिकारियोंका दरबार आ रहा है। मानसून बारात की तरह होता है,बारात केआते ही मोहल्‍ला गूंज उठता है,कुत्‍ते चिल्‍लाने लगते हैं,कुछ दुबकजाते हैं,महिलाएं बाहर निकल आती है दूल्‍हे को देखने। मानसून केआते ही महिलाएं घर से बाहर निकलती हैं,शरीर पर उभरी घमोरियोंको दूर करने के लिए मानसून की बारिश में नहाती हैं। बारात केमनचले बारात की लड़कियों को घूरते हैं,मानसून की बारिश में नहातेसमय मोहल्‍ले के शरीफजादे कभी तिरछी नजर से,तो कभी सीधीनजर से निहारते हैंll।उन्‍हें लोग घूरना भी मान लेते हैं। ये बारिश काधन्‍यवाद करते हैं। बारिश में नालियां खुशी से उफान पर आ जाती हैं। उनमें फंसा कचरागुलाब की तरह खिल जाता है। उससे उठती दुर्गंध से लोगों की नाकपकोड़े समान हो जाती है। जेब का रुमाल नाक पर आ जाता है। सड़कका कचरा विपक्ष की एकता की तरह एकसाथ बहने लगता है। सत्‍तापक्ष सफाई में जुट जाता है। कचरा सड़क पर भ्रष्टाचार की तरह फैलजाता है,उठाते-उठाते थक जाते हैं,कचरा समाप्‍त नहीं होता है। मानसून का इंतजार हो रहा है। बारिश शुरू हो चुकी है। मौसम विभागका कहना है-यह बारिश मानसून की नहीं है,आज तक समझ में नहींआया कि,मानसून की बारिश और मानसून से एक दिन पहले कीबारिश में क्‍या अंतर है। मौसम विभाग किस बारिश को मानसूनीबारिश मानता है,समझ में नहीं आता है। मानसून खुश होने का मौसम होता है। किसान खुश,नेता खुश,बाढ़़आएगी,अधिकारी-बाबू खुश हैं। मानसून में सड़ी प्‍याज व्‍यापारी बेचदेते हैं,समोसे की बिक्री बढ़ जाती है,सड़े आलू के खाद्य पदार्थ बाजारमें, ब्रेड पकोड़ा की टीआरपी बढ़ जाती है,छतरी के भाव आसमान छूनेलगते हैं। छतरियां प्रेमियों को भाती हैं,तिरछी नजर से छतरी बारिशऔर बाप की आंख से बचाती है। चखना की खोज में बेवड़ा लोगनिकल पड़ते हैं,प्‍याज के पकोड़े चखने का काम कर जाते हैं। पेन्‍ट हॉफ पेन्‍ट में बदल जाती है। महिलाएं पाजामा पहनने लगतीहैं,ताकि बारिश से बचने के लिए उसे घुटनों तक किया जा सके। मैकेनिकों की पौ-बारह हो जाती है। चार के आठ वसूलने का मानसूनआता है। नेता खुश हो जाते हैं,आसमान से बाढ़ का नजारा औरजमीन पर नोटों का खजाना। राहत सिर्फ राहत कुछ के लिए,कुछकौन ??????? मानसून का इंतजार करते हैं-चिकित्सक,अस्‍पताल,दवाईवाले,अधिकारी और बाबू। मानसून डेंगू,बुखार,डेंगी,चिकनगुनिया,बर्डफ्लू आदि के साथ आता है। इन दिनों सभी की जेब मानसून कीबारिश से आई बीमारियों से प्राप्‍त पैसे से भारी हो जाती हैं। बाढ़ राहतकोष, स्‍वयंसेवी संस्‍थाएं लूट का इंतजाम,कार्यकर्ता जमा हो योजनाबनाने लगते हैं,झोपड़ पटटी में फैली सुन्‍दरता को निहारने का मौकामनचले तलाशने लगते हैं। बारिश हो चुकी है,मौसम विभाग की घोषणा का इंतजार है,मानसूनआ गया है,बारिश नहीं आई है।                                                               […]

हिन्दी विरोधी ट्विटर अभियान के बाद `हमारी मेट्रो,हम नहीं चाहते हिन्दी` दो मेट्रो स्टेशनों-चिकपेट और मैजेस्टिक के हिन्दी में लिखे गए नामों को 3 जुलाई को अखबार और टेप की मदद से ढँक दिया गया है। ये मेट्रो बोर्ड कन्नड़,अंग्रेजी और हिन्दी में थे। केआरवी कार्यकर्ता प्रवीण शेट्टी ने रेस्त्रां के […]

बारिश में भी अगर कोई प्यासा दिखाई दे, फिर दूर-दूर तक भी न आशा दिखाई दे…। दिल टूट जाए जिसका वो सावन का क्या करे, उसको तो हर तरफ ही निराशा दिखाई दे…। हमने अगर कहा के जख्मी हो गया जिगर, ये बात भी तो सबको तमाशा दिखाई दे…। दुनिया […]

‘जीएसटी’ का मतलब समझो, समझ भी लो कर्तव्य हमारा। व्यापारियों चिंता मत करना, जन-जन से कर देश हमारा॥ न छूट जाए कोई भी हमारा, भारत वर्ष है सबको प्यारा। चलो बढ़ाओ हाथ मिलकर, यही राष्ट्र का उत्तम नारा॥ मजबूत बनाओ भारत प्यारा, हो दुनिया में सबसे न्यारा। अमीर-गरीब सभी कर […]

हमेशा अपने हृदय की बातों को रोक पाना बहुत कठिन है, हमेशा चुप रह के सारे जुल्मों को सहते जाना बहुत कठिन है। सभी ने बचपन से ये सिखाया के सच का दामन कभी न छोड़ो, मगर ये सच्चाई मेरे प्यारे अमल में लाना बहुत कठिन है। मैं देश का […]

मैं अक्सर अपनी खामोशी से बात करता हूँ, कुछ देर ठहर इत्मिनान से मुलाकात करता हूँ। वो बताती है मुझे यहाँ-वहाँ इधर-उधर की बातें, कैसे बीतती है लोगों की रातें। कुछ जागती आंखों में सपने लिए होते हैं, कुछ जागकर भी सोते हैं अपना बहुत कुछ खोते हैं। जरूरी नहीं […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।