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मैं अधूरी ही तो हूँ, उस आधी भरी ग्लास जैसी। अधूरा,अधूरा ही तो सब कुछ मेरा तुम बिन, स्त्रीत्व अपूर्ण है मेरा बिन पुरूष तुम्हारी संगिनी बने, बिन मातृत्व सुख के। और आज भी है मेरी रात अधूरी है, दिन उदासी है साँझ प्यासी है, सुबह आशाई है। मैं इतजार […]

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नदी हूँ मैं, सभ्यताओं को बसाती और उनका उजाड़ती भी, मिश्र में नील नदी बनके हड़प्पा में सिन्धु नदी। नदी हूँ मैं, तोड़ दूँगी अपनी धारा को लांघ जाऊँगी अपनी ही, लक्ष्मण रेखा को। नदी हूँ मैं, देश सीमा में न बँधी जिसे मैं पार न कर सकूँ, सिन्धु,रावी व […]

मैं निर्जीव हूँ मेरा भी सम्मान करो, मुझमें तुम्हारी जैसी जान नहीं बोल नहीं पाता, हँस नहीं पाता रो नहीं पाता पर मेरी दयनीय दशा हाल बयाँ करती है, मुझे भी इन्सानों जैसा साफ सुथरा व समय-समय पर मरम्मत करते रहो। मैं खुद पर हुए प्रहार को रोक नहीं पाता, […]

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आज नहीं मर रहा है केवल एक इंसान,  न ही मर रहे हैं सिर्फ बूढ़े लाचार शरीर पर आज… मर रही हैं उम्मीद के झिलमिलाते दीप लिए,  चौखट पे जमी मां की आंखें जो अपने बेटे के इंतज़ार में पथरा-सी गईं हैं l  आज मर रही है माँ की ममता  […]

हाँ में दीमक हूँ, घर दिवारों पर खिड़कियों पर, किताबों में पुरानी समानों पर मिट्टी के अन्दर अपना रैनबसरे बना लेती हूँ, धीरे-धीरे फैलती जाती हूँ जैसे बरगद की लताएं हों। मैं कहीं भी जाऊँ, अपना स्थान घेर लेती हूँ या यूँ कहें एक सुरक्षित दायरा बना लेती हूँ, मैं […]

तेरे हमराह यूं चलना नहीं आता मुझको, वक्त के साथ बदलना नहीं आता मुझकोl     मैं वह पत्थर भी नहीं हूँ कि पिघल भी न सकूं, मोम बनकर भी पिघलना नहीं आता मुझकोl     कीमती शै भी किसी राह में खो जा अगर, हाथ अफ़सोस का मलना नहीं […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।