मैं निर्जीव हूँ

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kumari archana
मैं निर्जीव हूँ
मेरा भी सम्मान करो,
मुझमें तुम्हारी जैसी जान नहीं
बोल नहीं पाता,
हँस नहीं पाता
रो नहीं पाता
पर मेरी दयनीय दशा
हाल बयाँ करती है,
मुझे भी इन्सानों जैसा साफ सुथरा व
समय-समय पर मरम्मत करते रहो।
मैं खुद पर हुए प्रहार को
रोक नहीं पाता,
न ही अपनी जीवन रक्षा हेतु
आवाज़ उठा पाता,
चाहे मारो या काट दो
पेड़ पौधे व पशु पक्षी
जीव जन्तु भी मेरे जैसे हैं,
वो भी बोल नहीं पाते
वो भी किसी को जीवन देते
बिना लाभ के फल देते,
मर-खपकर भी खाद बन जाते
दूसरों के उपयोग में खुद उपयोग हो जाते।
मैं निर्जीव हूँ,
पर जब तक टूट-फूट नहीं जाता
तुम्हारे प्रयोग की वस्तु बन उपयोग होता रहता हूँ,
नष्ट होकर भी कुछ न कुछ दे जाता हूँ
मेरी प्लास्टिक व कम्प्यूटर की बनी वस्तुएँ
मिट्टी में नष्ट नहीं हो पाती, और
पर्यावरण को निरन्तर नुकसान
पहुँचाती रहती,
बाकी निर्जीव वस्तुँ स्वत: हो नष्ट हो जाती
सृष्टि की रचना ही कुछ ऐसी है
मैं निर्जीव हूँ,
मेरा भी सम्मान करो।

                                                                 #कुमारी अर्चना

परिचय: कुमारी अर्चना वर्तमान में राजनीतिक शास्त्र में शोधार्थी है। साथ ही लेखन जारी है यानि विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में निरंतर लिखती हैं। आप बिहार के जिला हरिश्चन्द्रपुर(पूर्णियाँ) की निवासी हैं।

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