नदी हूँ मैं

1
0 0
Read Time1 Minute, 39 Second
kumari archana
नदी हूँ मैं,
सभ्यताओं को बसाती
और उनका उजाड़ती भी,
मिश्र में नील नदी बनके
हड़प्पा में सिन्धु नदी।
नदी हूँ मैं,
तोड़ दूँगी अपनी धारा को
लांघ जाऊँगी अपनी ही,
लक्ष्मण रेखा को।
नदी हूँ मैं,
देश सीमा में न बँधी
जिसे मैं पार न कर सकूँ,
सिन्धु,रावी व ब्रह्मपुत्र नदी
की बहती अमृत धारा हूँ।
नदी हूँ मैं,
कोई धर्म नहीं
जो संहिताबद्ध हो,
प्रकृति रूप में देवी समझ
पूजी-अर्चित की जाती हूँ,
इसलिए धरा पे पाप मिटाने
आपदा बन के प्रलय लाती हूँ।
नदी हूँ मैं,
कभी जीवनदायिनी बन जाती
तो कभी पापनाशिनी बन जाती,
कभी सरस्वती जैसी सूख जाती तो
कभी कोशी व गंगा जैसी बाढ़ लाती हूँ।
अरबों की जनसंख्या का,
गंदगी का बोझ उठाते-उठाते
मैं थक चुकी हूँ,
यूँ कहें कि, मैं हार चुकी हूँ
आखिर मैं छोटी नदी हूँ,
सागर तो नहीं
जो सब समाँ लूँ,
अपने तल में
सब निगल लूँ,
सब पचा लूँ
और डकार तक न करुं,
नदी हूँ मैं॥

                                                            #कुमारी अर्चना

परिचय: कुमारी अर्चना वर्तमान में राजनीतिक शास्त्र में शोधार्थी है। साथ ही लेखन जारी है यानि विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में निरंतर लिखती हैं। आप बिहार के जिला हरिश्चन्द्रपुर(पूर्णियाँ) की निवासी हैं।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

One thought on “नदी हूँ मैं

  1. १६-आने सच!
    पर,
    आप नदी हो इसलिए ही पूजी जाती हो।
    आप नदी हो इसलिए ही बहती जाती हो।
    आप नदी हो इसलिए ही सबकुछ सहती जाती हो।
    आप नदी हो इसलिए ही भगवान शिव के मस्तक पर धार्य हो।
    आप नदी हो इसलिये छोटी हो,
    पर आप छोटी होकर भी,
    कितनों जनों(कृषकों) की आस,
    इकलौती हो।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

हक़ीक़त

Wed Sep 13 , 2017
कुछ रोशनी के छींटे आए नजर उधर से। कोई गांव जल गया,लगता है एक पहर से॥ कुछ खुशबू भी है, सौंधी-सौंधी मिट्टी और राख की। उबला हो जैसे आलू,बटुए में हल्के-हल्के॥ अंगड़ाईयां है, लेती मेरे मन की यह दीवारें। शर्मा जाती है घासों की ये लम्बी कतारें॥ जब फूंकती हवा […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।